महंगाई आसमान पर है. गरीबों को निवाला मिलना तक दूभर हो गया है और पीडीएस में आया लाखों क्विंटल गेहूं खुले आसमान के नीचे बर्बाद हो रहस है.
दरअसल जयपुर के एफसीआई गोदाम में गेहूं रखने की जगह ही नहीं है क्योंकि गोदाम तो दारू से अटा पड़ा है. सोचकर भी हैरत होती है लेकिन सच यही है. जयपुर में सड़ रहा गेंहूं गरीबों का निवाला है जिसे जनवितरण प्रणाली के जरिए दिया जाना था. लेकिन गेहूं की बोरियां फटकर धूल में मिल गईं. अब तो जानवर भी इसे पूछ नहीं रहे.
जयपुर के ड्राईपोर्ट में यूं ही बर्बाद हो रहा है गेहूं लेकिन सुध लेनेवाला कोई नहीं. दरअसल ये गेहूं पंजाब से राजस्थान भेजा गया था. लेकिन भारतीय खाद्य निगम यानी एफसीआई ने गेहूं को पोर्ट में ही लावारिस छोड़ दिया. इतना भी ख्याल नहीं रखा कि धूप-पानी की वजह से ये बर्बाद हो जाएंगे.
हर रोज यूं ही लाखों क्विंटल गेहूं सड़ रहा है और अब ये गेहूं इस कदर जहरीले हो गए हैं कि इन्हें खाने वाले जानवरों की भी जान पर बन आई है. लेकिन एफसीआई करे भी तो क्या करे, उनके गोदामों में तो जगह ही नहीं है. हैरत की बात यह है कि गोदामों में शराब भरी पड़ी हैं.