नौ जून को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने विपक्ष के तीखे वारों को पलटवार करते हुए नोटबंदी को लेकर आर्थिक प्रस्ताव पेश किया. इस आर्थिक प्रस्थाव में उनका जोर नोटबंदी से जुड़े फायदे से था. उन्होंने कहा की सरकार को पता था कि था कि नोटबंदी से भारत में नगद की किल्लत हो जाएगी, लेकिन इससे अर्थव्यवस्था के डिजिटलीकरण की दिशा में बड़े और ठोस कदम जैसे दीर्घकालिक लाभ मिलेंगे.
साथ ही उन्होंने कहा कि नोटबंदी का मकसद काले धन और भ्रष्टाचार को रोकना था जो की काफी हद तक सफल रहा. इससे सरहद पार से आने वाला जाली नोट भी बंद हो गए. आतंकवाद को मिलने वाला फंड भी बंद हो गया है जो की उनके लाइफ लाइन पर चोट पहुचाता है.
ब्लूमबर्ग टीवी को दिए गए एक इंटरव्यू में जेटली ने कहा, हमें इस तथ्य के बारे में पता था कि नोटबंदी के कारण नगद की किल्लत का एक या दो तिमाही तक हम पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. नोटबंदी से बाद के स्थिति को उन्होंने 'पवित्र आंदोलन' नाम दिया. वहीं जनता इस परेशानी को पूरे उत्साह के साथ स्वीकार किया. नोटबंदी एक साहसिक कदम था जो गरीबो की भलाई के लिए किया गया था.
गोरतलब है कि काले धन और भ्रष्टाचार को लेकर सरकार ने 2014 के आम चुनाव में लोगों को वादा किया था, सरकार अब उसे कामयाब करने में सफल रही.
जेटली से जब पूछा गया कि क्या नोटबंदी सफल रही? तो इस पर उन्होंने कहा कि इससे अर्थव्यवस्था के डिजिटलीकरण की दिशा में बड़े और ठोस कदम देखने को मिले हैं. इससे काला धन बैंको में जमा हो चुका है. इसके कारण अब राजस्व आएगा साथ ही सकल घरेलू उत्पाद(जीडीपी) में आने वाने समय में काफी वृद्घि होगी.