केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को देश के रक्षा मंत्री का प्रभार संभाल लिया है. उन्हें एक दिन पहले ही रक्षा मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया था, मनोहर पर्रिकर ने गोवा में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार का नया मुख्यमंत्री बनने के लिए सोमवार को रक्षा मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अनुशंसा पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने जेटली को उनके वर्तमान प्रभारों के अलावा रक्षा मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार सौंपने का निर्देश दिया. जेटली 26 मई, 2014 को नरेंद्र मोदी सरकार के सत्ता में आने के समय से रक्षा मंत्रालय संभाल रहे थे, लेकिन बाद में नौ नवंबर, 2014 को यह पदभार पर्रिकर को सौंप दिया गया था.
जेटली के सामने होंगी ये चुनौतियां -
- अपने कार्यकाल के दौरान मनोहर पर्रिकर ने खुद के शांत स्वभाव के बावजूद भी कड़ा रुख अपनाया, समय-समय पर विरोधियों को करारा जवाब भी दिया. जेटली के सामने रक्षा मंत्रालय की इस छवि को बरकरार रखना चुनौती भरा होगा.
- पिछले कुछ समय से भारत बॉर्डर पर पाकिस्तान पर हावी रहा है, भारत ने पाकिस्तान की हर गोली का कड़े अंदाज में जवाब दिया है. जेटली के सामने आने वाले कार्यकाल में पाकिस्तान को शांत रखना आसान नहीं होगा.
- भारत सरकार ने मनोहर पर्रिकर के कार्यकाल में वन रैंक वन पेंशन को लागू तो किया, लेकिन इसके बावजूद भी कई बार पूर्व सैनिकों की इसको लेकर शिकायत आती रही है. जेटली को इन शिकायतों को दूर करना होगा और ओआरओपी को सही तरीके से लागू भी करना होगा.
- कश्मीर में लगातार तनाव रहा है, हालांकि पिछले कुछ दिनों में पथराव व हंगामें में कमी आई है, अरुण जेटली के सामने कश्मीर में आर्मी की सभी समस्याओं को देखते हुए स्थिति को काबू रखने की चुनौती होंगी.
- हाल ही के दिनों में कई जवानों के द्वारा सोशल मीडिया पर शिकायतों का मुद्दा गर्म था, जेटली को अपने कार्यकाल में यह कोशिश करनी होगी कि जवानों के मुद्दे से जुड़ी हर शिकायत को दूर किया जाए.