राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान आयोग ने जामिया मिलिया इस्लामिया को अल्पसंख्यक संस्थान के रूप में मान्यता दे दी. आयोग के इस फैसले का मुस्लिम संगठनों और विद्वानों ने स्वागत किया है.
आयोग के तीन न्यायाधीशों की एक खंडपीठ ने मंगलवार को यह फैसला सुनाया. खंडपीठ की अध्यक्षता न्यायमूर्ति एम एस ए सिद्दीकी कर रहे थे. फैसला सुनाते हुए उन्होंने कहा, ‘आयोग के लिए यह एक ऐतिहासिक दिन है. जामिया मिलिया इस्लामिया को संविधान के अनुच्छेद 30 के तहत अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा दिया जा रहा है.’
आयोग ने कुल 18 सुनवाइयों के बाद फैसला दिया है. मामले पर सुनवाई की शुरुआत वर्ष 2006 में हुई थी. इस केंद्रीय विश्वविद्यालय को अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा दिए जाने की मांग कई मंचों से लंबे समय से उठ रही थी. ‘जामिया माइनॉरिटी स्टेटस कोऑर्डिनेशन कमेटी’ के संयोजक इलियास मलिक ने आयोग के इस फैसले को ऐतिहासिक करार दिया. उन्होंने कहा, ‘यह ऐतिहासिक फैसला है. इसके लिए हम लंबे समय से लड़ाई लड़ रहे थे. यह न सिर्फ जामिया, बल्कि पूरे अल्पसंख्यक समुदाय के लिए भी खुशी का दिन है.’ {mospagebreak}
जामिया की स्थापना वर्ष 1920 में की गई थी. इसे वर्ष 1988 में केंद्रीय विश्वविद्यालय बना दिया गया. अब अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा दिए जाने के बाद इस विश्वविद्यालय में 50 फीसदी सीटें अल्पसंख्यक छात्र-छात्राओं के लिए आरक्षित होंगी.
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष वजाहत हबीबुल्लाह ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा, ‘हम इसका स्वागत करते हैं. लंबे वक्त से इसकी मांग की जा रही थी. उसी का नतीजा है कि इसे अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा मिला है. अल्पसंख्यक आयोग इस फैसले की सराहना करता है.’
देश के प्रमुख मुस्लिम संगठन ‘जमीयत उलेमा-ए-हिंद’ के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने कहा, ‘हम इस फैसले का स्वागत करते हैं. यह एक ऐतिहासिक फैसला है. हम केंद्र सरकार के प्रति अपना आभार प्रकट करते हैं. हमारी ओर से प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से इस बारे में गुजारिश की गई थी. हमारी यह मांग पूरी हो गई. हम इसके लिए प्रधानमंत्री और पूरी सरकार के शुक्रगुजार हैं.’ {mospagebreak}
‘ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड’ के सदस्य कमाल फारूकी ने भी इस फैसले को ऐतिहासिक करार दिया. उन्होंने कहा, ‘हम इस फैसले से बहुत खुश हैं. इसके लिए हम आयोग और केंद्र सरकार को धन्यवाद देते हैं. हम सभी की यह चाहत थी.
उम्मीद है कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को भी अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा मिलेगा.’ राज्यसभा के सदस्य मोहम्मद अदीब ने कहा, ‘यह हमारा हक था, जो आज हमें मिला है. इसके लिए हम केंद्र की संप्रग सरकार, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी के आभारी हैं. उम्मीद करते हैं कि अलीगढ़ को लेकर भी यही फैसला होगा.’