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इंडिया टुडे: इतिहास के मोड़ पर जम्मू-कश्मीर, बदलाव के लिए देगा वोट

जम्मू और कश्मीर की राजधानी श्रीनगर से करीब 60 किमी दूर शोपियां के नजदीक दक्षिण कश्मीर का गांव शादाब कारेवां है. यहां अखरोट के एक बाग में पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के नेता मुफ्ती मोहम्मद सईद एक छोटी-सी जनसभा को संबोधित कर रहे हैं. सईद लोगों को नसीहत दे रहे हैं कि वे इस महीने से पांच चरणों में होने वाले विधानसभा चुनाव में वोट डालकर 'जम्मू और कश्मीर का नसीब और साथ ही तवारीख बदल दें.’

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जम्मू और कश्मीर
जम्मू और कश्मीर

जम्मू और कश्मीर की राजधानी श्रीनगर से करीब 60 किमी दूर शोपियां के नजदीक दक्षिण कश्मीर का गांव शादाब कारेवां है. यहां अखरोट के एक बाग में पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के नेता मुफ्ती मोहम्मद सईद एक छोटी-सी जनसभा को संबोधित कर रहे हैं. सईद लोगों को नसीहत दे रहे हैं कि वे इस महीने से पांच चरणों में होने वाले विधानसभा चुनाव में वोट डालकर 'जम्मू और कश्मीर का नसीब और साथ ही तवारीख बदल दें.’ सईद के मुताबिक ''ये ऐतिहासिक बदलाव लाने वाले चुनाव हैं.’

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हर कोई सीटों की जुगत में
सत्तारूढ़ नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) सेना के उस फैसले का श्रेय हड़पने की हड़बड़ी में है, जिसमें उसने 2010 में नियंत्रण रेखा के मछील सेक्टर में तीन निर्दोष नागरिकों की मौत के लिए अपने ही अफसरों को सजा सुनाई है. मोदी लहर पर सवार बीजेपी कश्मीर घाटी में कम से कम एक सीट जीतने की जुगत में है और वह वादे कर रही है कि अगर वह सत्ता में आई तो राहत कार्य को और भी बेहतरीन ढंग से अंजाम दिया जाएगा. पीडीपी को उम्मीद है कि राहत कार्य से जुड़ा गुस्सा संतुलन साधने का काम करेगा और यह सत्ता तक पहुंचने में मददगार कुछ अहम सीटों को जीतने में मदद करेगा.

पीपल्स कॉन्फ्रेंस के नेता सज्जाद लोन हाल ही में 'बड़े भाई’ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर लौटे है और उत्तर कश्मीर में हंदवाड़ा से चुनाव लड़ रहे हैं. खबरें हैं कि सज्जाद खुद को चुनाव के बाद बीजेपी के साथ गठबंधन के तथाकथित मुख्यमंत्री के तौर पर पेश कर रहे हैं. लेकिन वे जोरदार खंडन करते हैं. सज्जाद लोन बीजेपी के मिशन 44+ के लिए एकदम माकूल हैं. बीजेपी ने अपने 60 उम्मीदवार (10 मुसलमानों सहित) मैदान में उतारे हैं और वह कुछ छोटी पार्टियों और निर्दलीयों का समर्थन कर रही है. उसे उम्मीद है कि इन सबसे मिल-जुलकर उसकी राजनैतिक नैया पार लग जाएगी.

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बीजेपी कश्मीरी पंडितों के भरोसे
जम्मू इलाके में हमेशा बीजेपी का वर्चस्व रहा है. यहां 21 सीटों पर हिंदू बहुसंख्यक हैं, जबकि बाकी 16 सीटों पर हिंदू-मुसलमानों की मिली-जुली आबादी है. बीजेपी को उम्मीद है कि कश्मीरी पंडितों के वोट चुनावी पलड़े को उसकी ओर झुका देंगे लेकिन पीडीपी और एनसी नेता दावा करते हैं कि बीजेपी की चालें लोग समझने लगे हैं. बीजेपी मछील (1989 में कश्मीर में गड़बड़ी शुरू होने के बाद पहली बार मानवाधिकार उल्लंघन के लिए सैन्य अफसरों को सजा मिलने का) और साथ ही हाल ही में चट्टरगाम में दो लड़कों के मारे जाने पर सेना को माफी मांगने के लिए मजबूर करने का श्रेय ले रही है.

अपना-अपना राग
मुफ्ती सईद की बेटी और अनंतनाग से सांसद महबूबा मुफ्ती मानती हैं कि बीजेपी जम्मू में अच्छा प्रदर्शन करेगी. लेकिन वे इस अटकल को खारिज कर देती हैं कि पीडीपी सरकार बनाने के लिए उसके साथ हाथ मिलाएगी. बावजूद इसके कि हाल के संसदीय चुनाव में बीजेपी ने 87 में से 41 सीटों पर बढ़त हासिल की थी. महबूबा कहती हैं, ''बेशक जब केंद्र में मोदीजी हैं, तो हमें बीजेपी के साथ काम करना पड़ेगा और उनसे बात करनी होगी. लेकिन हम उनके साथ जाने वाले नहीं हैं, यह बात पक्की है.”

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महबूबा अपने चुनाव अभियान में अपने वालिद के कार्यकाल की उपलब्धियों पर खासा जोर देती हैं.

खस्ताहाल कांग्रेस
घाटी में कांग्रेस का सफाया हो सकता है, वह एक-दो सीटें भले जीत ले. पार्टी को सोनावरी से इम्तियाज पर्रे सरीखे लोगों को उम्मीदवार बनाना पड़ा है, जो अपने आप में इशारा है कि झेलम में कितना पानी बह चुका है. इम्तियाज उन्हीं कुख्यात कूका पर्रे के बेटे हैं, जिन्होंने इख्वान-उल-मुस्लिमीन के मुखिया के तौर पर 1990 के दशक में सेना और स्पेशल फोर्सेज के हुक्म पर सैकड़ों लोगों को मौत के घाट उतारा था. इम्तियाज कहते हैं, ''मेरे वालिद ने जो किया वह हिंदुस्तान को बचाने के लिए, जम्हूरियत को बचाने के लिए किया. वह बदतरीन वक्ïत था, पाकिस्तान और उसकी एजेंसियों ने जंग छेड़ रखी थी. उन्होंने ऐसा इसलिए किया ताकि कश्मीर हिंदुस्तान में बना रहे.”

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