जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को असरहीन करने और राज्य को 2 हिस्सों में बांटने का फैसला करके नरेंद्र मोदी सरकार ने मास्टर स्ट्रोक चला है. इस फैसले का सियासी असर कश्मीर की चोटी से लेकर पश्चिम बंगाल की खाड़ी तक दिखाई दे सकता है. केद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के जम्मू-कश्मीर पर उच्चसदन में बात रखने के करीब 20 मिनट के बाद ही सांसद स्वपन दास गुप्ता ने फैसले को एतिहासिक बताते हुए देश के साथ बंगाल के लिए गर्व की बात कही. इससे साफ है कि बंगाल में अपनी सियासी आधार को बढ़ाने के लिए बीजेपी इस मुद्दे को उठा सकती है.
बीजेपी नेता और राज्यसभा के मनोनीत सदस्य स्वपन दास गुप्ता ने कहा कि बंगाल से आए हम सांसदों के लिए यह गर्व की बात है कि धारा 370 को खत्म कर दिया गया, क्योंकि सबसे पहले श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने 1953 में कश्मीर से धारा 370 को खत्म करने की आवाज उठाई थी. गुप्ता ने कहा कि आज गर्व का दिन है, क्योंकि अब जम्मू कश्मीर में देश का हर कानून लागू होगा. अब उसमें यह क्लॉज नहीं होगा कि यह कानून जम्मू कश्मीर में नहीं लागू होता है.
पश्चिम बंगाल में बीजेपी अपने राजनीतिक ग्राफ बढ़ाने की हर संभव कदम उठा रही है. ऐसे में अनुच्छेद 370 को जम्मू-कश्मीर से हटाकर बीजेपी ने बड़ा दांव खेला है. पश्चिम बंगाल के लोगों का शुरू से ही राष्ट्रवाद से भावनात्मक जुड़ाव रहा है. मोदी सरकार ने जिस तरह से 370 के खिलाफ साहसिक कदम उठाया है. अब माना जा रहा है कि बीजेपी इस मुद्दे को सियासी फायदा उठाने की कवायद करेगी.
लोकसभा चुनाव में मिली जीत से उत्साहित बीजेपी का अगला मिशन बंगाल में कमल खिलाना है. लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने बंगाल की 42 संसदीय सीटों में से 18 सीटें जीतने में कामयाब रही है. अब पश्चिम बंगाल में 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में बीजेपी बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनाव में धारा 370 के मुद्दे को एक बड़े सियासी उपलब्धि के तौर पर पेश कर सकती है.दरअसल जम्मू-कश्मीर की धारा 370 के खिलाफ सबसे पहली आवाज पश्चिम बंगाल से उठी थी. जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी इस प्रावधान के सख्त खिलाफ थे. उन्होंने धारा 370 हटाने के लिए आंदोलन चलाया था. उन्होंने एक देश में दो विधान, एक देश में दो निशान, एक देश में दो प्रधान- नहीं चलेंगे, नहीं चलेंगे जैसे नारे दिए.
देश की एकता और अखंडता को लेकर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने आंदोलन चलाया था. वो धारा 370 को हटाने के लिए कश्मीर के लिए रवाना हो गए थे. जम्मू-कश्मीर सरकार ने राज्य में प्रवेश करने पर मुखर्जी को 11 मई 1953 को हिरासत में ले लिया. इसके कुछ समय बाद 23 जून 1953 को जेल में उनकी रहस्यमयी तरीके से मौत हो गई.
यही वजह है कि धारा 370 को जम्मू-कश्मीर से हटाने के फैसले को बीजेपी अपने आदर्श नेता श्यामा प्रसाद मुखर्जी के सपने का सच होना बता रही है. बीजेपी नेता राम माधव ने कहा कि सरकार ने 7 दशक पुरानी मांग को पूरा कर दिया है. भारतीय संघ में जम्मू-कश्मीर के एकीकरण का जो सपना डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने देखा था और जिसके लिए हजारों लोगों ने शहादत दी, वो हमारे आंखों के सामने सच हो रहा है.