जम्मू-कश्मीर से लद्दाख को अलग कर केंद्र शासित क्षेत्र बनाए जाने से लेह में खुशी का माहौल है तो कारगिल में एहतिहात के तौर पर धारा 144 लगी हुई है. लेह में बड़े उत्सव का आयोजन किया जा रहा है और मोदी सरकार के साहसिक फैसले का स्वागत किया जा रहा है. करगिल में लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश घोषित करने पर कुछ जगह विरोध प्रदर्शन की बात सामने आई है.
करगिल में उग्र हुआ विरोध प्रदर्शन
लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने के किलाफ विधायक हाजी असगर अली भी उतर गए हैं. करगिल में उनके समर्थक हंगामा कर रहे हैं. करगिल में धारा 144 लागू है लेकिन वहां उग्र विरोध प्रदर्शन हो रहा है. सुरक्षाकर्मियों को मजबूरन आंसू गैस और लाठी चार्ज करना पड़ा.
पूर्व विधायक हाजी असगर अली ने दावा किया है कि केंद्र सरकार के अनुच्छेद 370 में किए गए बदलाव के चलते पूरे करगिल में विरोध हो गया है. हालांकि उन्होंने दावा किया है करगिल में विरोध प्रदर्शन शांतिपूर्ण तरीके से किए जाएंगे.
बदलेगा जम्मू-कश्मीर का नक्शा
जम्मू-कश्मीर राज्य पुनर्गठन विधेयक 2019 के कानून बनने के बाद जम्मू-कश्मीर का नक्शा बदल जाएगा. लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद हर मामले में बेहद अहम करगिल जिला केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर का हिस्सा नहीं रह जाएगा.
जम्मू-कश्मीर राज्य पुनर्गठन विधेयक के प्रावधानों के मुताबिक करगिल और लेह जिले को मिलाकर लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाया जाएगा. जम्मू-कश्मीर राज्य के बाकी बचे जिलों को मिलाकर जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित राज्य बनाया जाएगा. रिपोर्ट के मुताबिक जम्मू-कश्मीर राज्य में कुल 22 जिले थे.
करगिल जिला नियंत्रण रेखा के नजदीक स्थित है और पाक प्रशासित गिलगिट बाल्टिस्तान से घिरा हुआ है. करगिल जिला 1999 में भारत-पाकिस्तान के बीच हुई लड़ाई का पर्याय बन गया था.
1999 में करगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तानी घुसपैठियों ने करगिल की चोटियों पर कब्जा कर लिया था. इस कब्जे को पाकिस्तान से मुक्त कराने के लिए भारत को भीषण रण करना पड़ा था. इस चोटी को पाकिस्तान के कब्जे से मुक्त कराने के बाद यहां पर तिरंगा फहराते भारतीय सैनिकों की तस्वीर करगिल की लड़ाई की पहचान बन गई थी.