जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के चलते कई हिस्सों में इंटरनेट सेवा बंद है तो वहीं कई जगहों पर धारा 144 भी लागू है. ऐसे में जम्मू कश्मीर से बाहर रह रहे लोग जम्मू कश्मीर में मौजूद अपने परिवार से बातचीत नहीं कर पा रहे हैं. जिसके चलते लॉ के एक छात्र ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई है कि कश्मीर में उसके माता-पिता के बारे में जानकारी मुहैया करवाई जाए.
जामिया मिलिया इस्लामिया से कानून में ग्रेजुएट मोहम्मद अलीम ने कोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि 4 अगस्त से उसे कश्मीर के अनंतनाग में रह रहे अपने माता-पिता और भाई के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली है. अलीम ने कोर्ट से कहा है कि जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का प्रस्ताव संसद में लाए जाने के बाद से ही घाटी और जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट नेटवर्क खत्म है. कर्फ्यू जैसे हालात बने हुए हैं. टेलीफोन, इंटरनेट और सोशल मीडिया समेत संपर्क के सभी इंतजाम बंद पड़े हैं.
संसद ने 6 अगस्त को राष्ट्रपति के आदेश का समर्थन करनेवाला एक संशोधन विधेयक पारित किया, जिसके बाद अनुच्छेद 370 बेमानी हो गया और राज्य को जम्मू और कश्मीर और लद्दाख के रूप में दो केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया. सैयद ने इस साल इंटरनेट, फोन लाइन, टीवी और सोशल मीडिया समेत संचार के अन्य साधनों को बंद करने के 53 उदाहरणों का हवाला दिया.
उन्होंने याचिका में कहा कि वर्तमान में लागू कठोर नीति का कोई कानूनी आधार नहीं है और यह जम्मू और कश्मीर के इतिहास में सबसे कठोर है. उन्होंने कहा कि संचार पर रोक और आवाजाही पर रोक लगाना संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत आवाजाही और अभिव्यक्ति के मौलिक अधिकार का हनन है. उन्होंने कहा कि घाटी में हिंसा और हत्या की अफवाहें गर्म हैं. कोई ठोस जानकारी नहीं मिल पा रही है.