जम्मू-कश्मीर के नौहट्टा में हुए आतंकी हमले में सीआरपीएफ के कमांडेंट प्रमोद कुमार की शहादत कई सवाल खड़े करती है. शहीद प्रमोद की गर्दन के ऊपरी हिस्से में गोली लगी, जिससे उनकी मौत हुई. लेकिन अगर उन्होंने बुलेटप्रूफ हेलमेट पहना होता, तो उनकी जान बच सकती थी.
गृह मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस वक्त CRPF बुलेटप्रूफ हेलमेट और पटके की भारी कमी से जूझ रही है. सीआरपीएफ को एक लाख 22 हजार 485 बुलेटप्रूफ हेलमेट और पटके की जरूरत है. लेकिन चौंकाने वाली बात ये है कि उसके पास सिर्फ 1852 बुलेटप्रूफ हेलमेट और पटके ही हैं. यानी देश की सुरक्षा में जान न्योछावर करने के लिए फ्रंटफुट पर खड़ी CRPF के पास बुलेटप्रूफ हेलमेट और पटकों की 98 फीसदी कमी है.
27 हजार हेलमेट और पटकों की खरीद को मंजूरी
यह पहली बार नहीं है, जब बुलेटप्रूफ हेलमेट और पटकों की कमी की बात सामने आई है. कुछ दिनों पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय से सीआरपीएफ के लिए 27 हजार बुलेटप्रूफ हेलमेट और पटकों को मंजूरी दी गई, लेकिन अभी तक CRPF को बुलेटप्रूफ हेलमेट और पटके नहीं मिले.
शहीद प्रमोद ने पहना था रॉयट हेलमेट
सीआरपीएफ के शहीद कमांडेंट प्रमोद कुमार ने एनकाउंटर के वक्त बुलेटप्रूफ हेलमेट नहीं पहन रखा था. उन्होंने दंगों और पत्थरबाजी के दौरान पहने जाने वाले रॉयट हेलमेट पहना हुआ था.