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'जिन्ना नहीं चाहते थे लेकिन नेहरू-पटेल-मौलाना की वजह से बना पाकिस्तान'

अब्दुल्ला ने कहा कि मोहम्मद अली जिन्ना उस कमीशन की बात मानने के पक्ष में थे जिसमें मुलसमानों और सिखों सहित अन्य अल्पसंख्यकों को विशेष अधिकार देने की बात कही जा रही थी, लेकिन नेहरू, मौलाना और पटेल ने उस प्रस्ताव को ठुकरा दिया था.

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फारुख अब्दुल्ला (फाइल फोटो)
फारुख अब्दुल्ला (फाइल फोटो)

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जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला का कहना है कि मोहम्मद अली जिन्ना मुसलमानों के लिए अलग देश नहीं चाहते थे, लेकिन भारतीय नेताओं की वजह से देश का बंटवारा हुआ.

फारुख अब्दुल्ला ने शनिवार को एक कार्यक्रम में कहा कि जिन्ना मुसलमानों के लिए अलग देश नहीं चाहते थे, लेकिन भारतीय नेताओं की ओर से मुसलमानों और सिखों को देश में अल्पसंख्यक का दर्जा दिए जाने से इनकार किए जाने के बाद यह सब कुछ हो गया.

हालांकि अब्दुल्ला के इस बयान की पैंथर पार्टी के प्रमुख प्रोफेसर भीम सिंह ने जमकर आलोचना की. उन्होंने अब्दुल्ला के बयान की आलोचना करते हुए उनसे पूछा कि जब वह मुख्यमंत्री और केंद्र में यूपीए शासनकाल में मंत्री थे तब क्यों नहीं इस मसले को उठाया. वह लोकसभा में सांसद रहे और उस दौरान इस मुद्दे को संसद में उठा सकते थे.

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अब्दुल्ला ने कहा था कि मोहम्मद अली जिन्ना उस कमीशन की बात मानने के पक्ष में थे जिसमें मुलसमानों और सिखों सहित अन्य अल्पसंख्यकों को विशेष अधिकार देने की बात कही जा रही थी, लेकिन जवाहर लाल नेहरू, मौलाना आजाद और सरदार पटेल ने कमीशन के प्रस्ताव को ठुकरा दिया और इसके बाद जिन्ना ने पाकिस्तान की मांग शुरू कर दी.

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, 'जिन्ना पाकिस्तान बनाने के पक्ष में नहीं थे. कमीशन में फैसला हुआ था कि भारत का बंटवारा करने के बजाए मुसलमानों के लिए अलग से नेतृत्व रखेंगे. साथ ही अल्पसंख्यकों और सिखों के लिए अलग से व्यवस्था तय की जाएगी, लेकिन देश का बंटवारा नहीं होने देंगे. कमीशन की ये बातें जिन्ना को मंजूर थी, लेकिन नेहरू, मौलाना आजाद और सरदार पटेल इस पर राजी नहीं थे.'

उन्होंने कहा कि विभाजन को टाला जा सकता था. आज पाकिस्तान और बांग्लादेश नहीं होते, तीनों भारत का हिस्सा होते.

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