जम्मू और कश्मीर में अशांति के माहौल के बीच राज्य के राज्यपाल एनएन वोहरा ने राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रबंधन पर साल 2000 में दी गई एक रिपोर्ट की सिफारिशें लागू न होने पर नाराजगी जताई है. दिल्ली में होमलैंड सिक्योरिटी पर आयोजित एक कार्यक्रम में वोहरा ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा का प्रबंधन कोई साधारण काम नहीं है, इसके लिए ज्यादा और समर्पित ढंग से ध्यान देने की जरूरत है.
वोहरा ने कहा कि साल 2000 में राष्ट्रीय सुरक्षा समीक्षा रिपोर्ट में राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये एक विशेष कार्यबल के गठन की अनुशंसा की गई थी, जिसमें आईएएस या आईपीएस ही नहीं बल्कि नियमित सुरक्षा बलों के साथ आईआईटी, आईआईएम, बैंकिग और परमाणु ऊर्जा जैसे क्षेत्रों की तकनीक के जानकार और वैज्ञानिक भी शामिल हों. उन्होंने कहा कि मंत्रियों के समूह ने इस रिपोर्ट को स्वीकार भी किया था लेकिन उसके बाद उसका कुछ नहीं हुआ. वोहरा ने कहा कि साल 2012 के बाद देश में 4 फिदायीन हमले हुए हैं. चाहे सीमा चौकियों के बीच की दूरी या आपसी संचार की बात हो या रात में देख सकने वाले उपकरणों की, हमारी सीमा पर कई क्षेत्रों में कमियां रही हैं. उन्होंने कहा कि वो यह बातें बार-बार उठाते रहे हैं.
वोहरा ने कहा कि चुस्त सीमा प्रबंधन के लिये आमजन की भागीदारी जरूरी है. बेहतर सुरक्षा सुनिश्चत करने के लिये यह जरूरी है कि हर कोई सुरक्षा के कामकाज को गंभीरता से समझे और इसको सम्मान दे. हमारे देश में एकता और अखंडता का महत्व और मायने समझने की जरूरत है.
'राष्ट्रीय सुरक्षा पॉलिसी बने'
जम्मू कश्मीर के राज्यपाल ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा प्रबंधन पर केंद्र और राज्यों के बीच तालमेल की जरूरत है. उनके मुताबिक, 'राष्ट्रीय सुरक्षा प्रबंधन पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है. राष्ट्रीय सुरक्षा पॉलिसी
बनाए जाने की जरूरत है. प्रशिक्षित आतंकियों से निपटने के लिए स्पेशल फोर्सेज बनाने की जरूरत है.
वोहरा ने कहा कि सीमा के करीब रहने वाले लोगों का खास ध्यान रखने की जरूरत है. अगर सीमा पर रहने वाले लोग असंतुष्ट रहेंगे तो इससे सीमा सुरक्षा बलों को बॉर्डर मैनेजमेंट में मदद नहीं मिलेगी.