कठुआ गैंगरेप मामले में जम्मू बार एसोशिएसन की भूमिका विवादों में है. और अब इस मामले में एक नया मोड़ आ गया है. जम्मू बार एसोशिएसन के अध्यक्ष बीएस सलाथिया 11 अप्रैल को जम्मू बंद के दौरान लोगों को भड़काते हुए कैमरे में कैद हुए हैं.
बंद के दौरान सलाथिया राज्य सरकार को धमकी दे रहे हैं कि लोग उसके खिलाफ एके-47 और बम भी उठा सकते हैं. बंद के दौरान सलाथिया लोगों को इस मांग पर संबोधित कर रहे हैं कि आसिफा केस क्राइम ब्रांच से वापस ले लिया जाए.
साथ ही वे जम्मू से रोहिंग्या और अवैध तरीके से रह रहे शरणार्थियों को निकालने की मांग कर रहे हैं. सलाथिया ने कथित रूप से आसिफा की वकील को भी केस लड़ने को लेकर धमकाया.
बाद में सफाई देते हुए उन्होंने कहा कि बीएस सलाथिया ने कहा है कि बार एसोसिएशन किसी पार्टी से ताल्लुक नहीं रखता है. मैं व्यक्तिगत तौर पर गुलाम नबी आजाद को जानता हूं. उन्होंने कहा कि मैंने किसी को नहीं उकसाया है. वो लोग शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे थे.
लोगों को भड़काने से संबंधित सलाथिया के बयान पर डीजीपी ने कहा कि ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि वे एके-47 और बम की बात कर रहे हैं. हम इस मामले को देखेंगे.
जम्मू कश्मीर के डीजीपी एसपी वैद्य ने कहा कि कठुआ की घटना बहुत ही वीभत्स है. इससे वीभत्स कुछ नहीं हो सकता है. एसआईटी ने बहुत प्रोफेशनल तरीके से काम किया है और चार्जशीट दाखिल किया है. हम उम्मीद करते हैं, मामले में न्याय होगा.
क्या है कठुआ मामला
कठुआ जिले में जनवरी में आठ साल की एक बच्ची को कुछ लोगों ने एक गांव के मंदिर में एक सप्ताह तक बंदी बनाकर भूखे-प्यासे रखा, नशे की गोलियां खिलाकर उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म करते रहे, बाद में पत्थर से कुचलकर उसकी हत्या कर दी थी. यह कुकृत्य दूसरे संप्रदाय के लोगों को सबक सिखाने की नीयत से किया गया.