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PSA के तहत कार्रवाई क्यों? उमर अब्दुल्ला की बहन ने SC में दी याचिका

5 फरवरी को जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला पर पीएसए लगाया गया था. पीएसए लगने के बाद उमर अब्दुल्ला की हिरासत को 3 महीने से 1 साल तक बिना किसी ट्रायल के बढ़ाया जा सकता है.

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जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला (फाइल फोटो-PTI)
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला (फाइल फोटो-PTI)

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  • उमर अब्दुल्ला की गिरफ्तारी का मामला सुप्रीम कोर्ट
  • सारा पायलट ने अदालत में दाखिल की याचिका

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की हिरासत का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. उमर अब्दुल्ला की बहन सारा अब्दुल्ला पायलट ने पब्लिक सेफ्टी एक्ट (पीएसए) के तहत हिरासत को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. इस मामले में कोर्ट ने याचिका दाखिल करने की अनुमति दी.

उमर अब्दुल्ला 5 अगस्त, 2019 से सीआरपीसी की धारा 107 के तहत हिरासत में थे. इस कानून के तहत, उमर अब्दुल्ला की छह महीने की एहतियातन हिरासत अवधि गुरुवार यानी 5 फरवरी 2020 को खत्म होने वाली थी, लेकिन 5 जनवरी को सरकार ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती के खिलाफ पब्लिक सेफ्टी एक्ट (पीएसए) लगा दिया है.

सुप्रीम कोर्ट में उमर की गिरफ्तारी का मामला

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सुप्रीम कोर्ट इस याचिका पर जल्द सुनवाई के लिए तैयार हो गई है. इस याचिका में कहा गया है कि उमर अब्दुल्ला को गिरफ्तार करने के पीछे कोई पर्याप्त सबूत नहीं है. याचिका में कहा गया है कि जिस व्यक्ति को 6 महीने तक पहले ही गिरफ्तार करके रखा गया है उसे और ज्यादा दिनों तक गिरफ्तार रखने के लिए और कोई साक्ष्य नहीं मौजूद हो सकता है.

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याचिका में कहा गया है कि उमर अब्दुल्ला की गिरफ्तारी अनैतिक है और भारतीय संविधान के मूल्यों का हनन करती है. 

इसके बाद उमर अब्दुल्ला की हिरासत को 3 महीने से 1 साल तक बिना किसी ट्रायल के बढ़ाया जा सकता है. उमर अब्दुल्ला के खिलाफ अन्य आरोपों में अनुच्छेद 370 को खत्म करने के केंद्र के फैसले का विरोध और राष्ट्र की एकता और अखंडता के खिलाफ ट्विटर पर लोगों को उकसाना शामिल है.

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हालांकि, इस आरोप का समर्थन करने के लिए किसी भी ट्विटर पोस्ट का हवाला नहीं दिया गया है. वहीं, 5 अगस्त 2019 को गिरफ्तारी से पहले उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट करते हुए लोगों से शांति बनाए रखने का आह्वान किया था.

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