जम्मू कश्मीर में पाकिस्तान की साजिशें रमजान के पाक माह में भी नहीं थम रही है. एक तरफ पाकिस्तान रिहाय़शी इलाकों पर गोली बरसाकर कायरता दिखा रहा है तो दूसरी तरफ वतन की हिफाजत के लिए बीएसएफ के दो जवानों ने जान न्योछावर कर दी. एक जवान फतेहपुर का रहने वाले थे तो दूसरे देवरिया के. फतेहपुर के विजय पांडे की जल्द ही शादी होने वाली थी तो देवरिया के सत्यनारायण यादव अपने पिता के इलाज के लिए वीआरएस लेने वाले थे, इन्हीं का पार्थिव शरीर जब गांव पहुंचा तो लोगों का आक्रोश रोके नहीं रुका.
शहीदों के घर मातम
शहीद विजय पांडे यूपी के फतेहपुर और सत्यनारायण यादव देवरिया के रहने वाले थे. 20 जून को विजय की शादी होने वाली थी, घर में चारों तरफ खुशियों की गूंज थी लेकिन अब एक एक कोना कोना चीख रहा है. उधर देवरिया में शहीद सत्यनारायण की पत्नी बार बार गश खाकर गिर रही हैं. शहीदों के परिवारों को अपने लाडलों को खोने का गम तो है ही लेकिन जम्मू-कश्मीर की सीएम महबूबा मुफ्ती का बयान इनके जख्मों पर नमक जैसा काम कर रहा है.
ऑपरेशन ऑलआउट से बौखलाया आतंकी
उधर जम्मू में बीएसएफ बटालियन ने अपने शहीदों को आखिरी सलामी देकर उनके गांवों की ओर रवाना कर दिया. इस साल कश्मीर में अब तक 18 जवान शहीद हो चुके हैं, जबकि इसी दौरान सुरक्षाबलों ने 80 से ज्यादा आतंकियों को ठिकाने लगाया है. पिछले साल शुरू हुए ऑपरेशन ऑल आउट में अब तक 300 से ज्यादा आतंकी मारे जा चुके हैं. ऑपरेशन ऑल आउट में आतंकियों के सफाए से बौखलाया पाकिस्तान सीमापार से गोले बरसाकर ही अपनी खीझ निकाल रहा है. रविवार को अखनूर में यही हुआ.
3 दिनों में 13 आतंकी हमले
दरअसल रविवार की सुबह अखनूर में सरहद से करीब 5 किमी दूर रिहाइशी इलाकों में पाकिस्तानी रेंजर्स ने मोर्टार बरसाने शुरू कर दिए, और इधर उसके भाड़े के आतंकियों ने एक के बाद एक तीन वारदातों का अंजाम दिया. सबसे पहले पुलवामा में नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता के घर पर हमला बोला, उसके बाद पुलवामा के ही त्राल मे आतंकियों ने सेना के कैंप को निशाना बनाया और रात होते होते अनंतनाग में बम से हमला कर दिया. रविवार को हुए तीन आतंकी हमलों में कोई बड़ा नुकसान तो नही हुआ. लेकिन अखनूर में पाकिस्तानी फायरिंग में हमारे दो जवान शहीद हो गए और दर्जनों मकान तबाह हो गए. कश्मीर की अवाम महबूबा सरकार से पूछ रही है कि इस गोली का जवाब वो बोली से कैसे देंगी.
पत्थरबाजों पर हमदर्दी क्यों?
महबूबा मुफ्ती की पाकिस्तान और पत्थरबाजों से हमदर्दी नई बात नहीं है, सत्ता की तरह ये उनके ये खयालात भी विरासत में ही मिले हैं इसी विरासत के बोझ तले जब तब पाकिस्तान और पत्थरबाजों के लिए उनकी आंखों से आंसू झरने लगते हैं और वो बातचीत की गुहार लगाने लगती हैं. इस बार भी रमजान के मौके पर उनका दिल इतना पसीजा कि उन्होंने सेना और सरकार से एक महीने के सीजफायर की फरियाद कर दी. हैरतअंगेज तो ये रहा कि पाकिस्तान की रग रग से वाकिफ सरकार ने इसे मंजूर भी कर दिया.