पाकिस्तान अब नए आतंकी गुटों को बढ़ावा देने की फिराक में है. खुफिया सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिज्बुल मुजाहिदीन से ध्यान हटाकर पुराने और छोटे-छोटे आतंकी संगठनों को खड़ा करने की कोशिश में लग गया है. सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान 9 आतंकी संगठनों सिपह-ए-सहाबा, हरकत-उल-मुजाहिदीन, जैश-औल-अदल, लश्कर-ए-उमर (LeO), अल-बद्र, लश्कर-ए-झांगवी (LeJ), तहरीक-उल-मुजाहिदीन (TuM) और अल-उमर-मुजाहिदीन (AUM) को दोबारा खड़ा करने में जुट गया है.
पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा की दो जगहों पर आईएसआई की मदद से अल बद्र ने पैसा जुटाने के लिए पोस्टर भी बांटे हैं. उसका कमांडर असलम पीओके में फंड वसूल रहा है, तो लियाकत जरीन खैबर पख्तूनख्वा में फंड वसूलने में जुटा हुआ है. इसके साथ ही पाकिस्तान आतंकियों को अफगानिस्तान बॉर्डर के नजदीक तालिबानी कैंप में ट्रेनिंग दे रहा है.
इसके अलावा खुफिया एजेंसी ने गृह मंत्रालय को दी गई अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत नेपाल के बॉर्डर से सटे कुछ नेपाल के जिलों में मौलाना मदनी अपने एनजीओ के जरिये विदेशों से फंड मंगा रहा है. सूत्रों के मुताबिक इस फंड का इस्तेमाल मदनी बॉर्डर एरिया के भोले भाले युवाओं को लश्कर में शामिल करने के लिए ब्रेनवाश कर रहा है. खुफिया एजेंसियों ने इस बात की ओर भी इशारा किया है कि कैसे नेपाल रूट से विदेशी पैसा नेपाल के एनजीओ में आ रहा है और इस एनजीओ का इस्तेमाल मदनी मुस्लिम युवाओं को लश्कर में शामिल करने के लिए रेडिक्लाईज कर रहा है.
आतंकवाद को संरक्षण देने वाले पाकिस्तान के लिए 1751 किमी में खुली भारत-नेपाल की सीमा सबसे मुफीद रही है. यही वजह है कि खूंखार आतंकी बाघा या अन्य बॉर्डर की बजाय इस रूट को ज्यादा तरजीह देते हैं क्योंकि ये बॉर्डर खुला है. हालांकि एसएसबी इस बॉर्डर की सुरक्षा में रहती है पर आतंकी कई बार घुसने की कोशिश में पकड़े जाते हैं.