जम्मू और कश्मीर पुलिस की मेहनत रंग लाती नजर आ रही है. पुलिस की पहल पर पुलवामा के दो युवा, अपने परिवार की मदद से मुख्यधारा में लौट आए हैं. सुरक्षा कारणों से इन युवाओं की पहचान को पुलिस ने उजागर नहीं किया है. बताया जा रहा था कि दोनों युवा बहकावे में आकर आतंक के रास्ते पर जा रहे थे.
बता दें कि जम्मू-कश्मीर में पुलिस युवकों मुख्य धारा से जोड़ने के प्रयास में जुटी हुई है. इस साल मार्च में राज्य के 150 युवक भारतीय सेना में भर्ती हुए थे. श्रीनगर में परेड से पासआउट हुए युवाओं ने देश की सेवा करने का प्रण लिया. राज्य के पुलवामा में एक कुछ दिन पहले ही हुए आतंकी हमले में 40 सीआरपीएफ जवानों की शहादात के बाद इन युवाओं द्वारा देश सेवा के लिए सेना को चुना है.
सुरक्षाबलों द्वारा जम्मू-कश्मीर में आतंक के सफाए के ऑपरेशन ऑल आउट चला. अक्टूबर 2018 की एक रिपोर्ट बताती है कि आंकड़ों के मुताबिक साल की शुरुआत से अब तक कश्मीर में 164 स्थानीय युवकों ने आतंकवाद का रास्ता अख्तियार किया, 180 से ज्यादा आतंकी मारे गए और तकरीबन 350-400 आतंकी घाटी में सक्रिय हैं.Jammu & Kashmir Police: Two more youth from Pulwama have returned to the mainstream, with the help of community members and their families. Identities of both stand protected. pic.twitter.com/BKYAeoO41w
— ANI (@ANI) June 18, 2019
जुलाई 2016 में हिज्बुल कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने के बाद एनकाउंटर, बंद और हिंसा का दौर सिर्फ दक्षिण कश्मीर तक सीमित था. हालांकि हाल में उत्तर कश्मीर में आतंकी मन्नान वानी के मारे जाने और स्थानीय स्तर पर आतंकियों की बढ़ती भर्ती से ऐसा प्रतीत होता है कि दक्षिण कश्मीर के बाद अब आतंकवाद ने उत्तर कश्मीर को भी अपने चपेट में ले लिया है.
दरअसल जुलाई 2016 से पहले दक्षिण कश्मीर, उत्तर कश्मीर की तुलना में शांत माना जाता था. जबकि उत्तर कश्मीर नियंत्रण रेखा पार कर आए सीमा पार के आतंकियों का गढ़ माना जाता था, जो बांदीपोरा, बारामुला और कुपवाड़ा के जंगलों में शरण लेते थे. हिज्बुल कमांडर बुरहान वानी की मौत के बाद 6 महीने तक पूरे कश्मीर प्रदर्शन का दौर चला. हालांकि सुरक्षा बलों ने स्थिति पर नियंत्रण पाने में सफलता भी हासिल की, लेकिन स्थानीय स्तर पर दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग, कुलगाम, शोपियां और पुलवामा जिले से युवाओं की आतंकवादी संगठनों में भर्ती में बढ़ोतरी हुई.
इस बीच उत्तर कश्मीर में हुए सुरक्षा बलों से मुठभेड़ों में अधिकतर मारे गए आतंकी सीमा पार से आए थे, जबकि दक्षिण कश्मीर में मारे गए आतंकी स्थानीय थें.
दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले के त्राल क्षेत्र का रहने वाला बुरहान वानी एक समय में घाटी में आतंक का चेहरा बन गया था. उत्तर कश्मीर के कुपवाड़ा जिले का रहने वाला मन्नान वानी जो कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में पीएचडी का छात्र था और 7 जनवरी 2018 को एके-47 के साथ उसकी फोटो वायरल होने के एक दिन बाद हिज्ब-उल-मुजाहिद्दीन ने इसकी पुष्टि की थी कि मन्नान हिज्बुल में शामिल हुआ है. इससे साफ हो गया कि अब तक स्थानीय आतंकवाद से अछूते उत्तर कश्मीर में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है.