कश्मीर के सुलगते हालात केंद्र सरकार के लिए फिक्र का सबब हैं और बढ़ते अलगाववाद पर काबू पाने के लिए उपाय खोजे जा रहे हैं. इसी सिलसिले में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को रिपोर्ट भेजी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार को कश्मीर में भारत-विरोधी भावनाओं पर काबू पाने के लिए मस्जिदों, मदरसों और राज्य की मीडिया पर नियंत्रण रखना होगा . रिपोर्ट के मुताबिक गृह मंत्रालय का मानना है कि कश्मीर में खुफिया तंत्र को मजबूत बनाने और हुर्रियत के नरमपंथी धड़े के साथ बातचीत की संभावना तलाशे जाने की भी जरुरत है.
-रिपोर्ट में पाकिस्तान का सीधा जिक्र नहीं है लेकिन राज्य के सियासी माहौल को बदलने पर जोर दिया गया है.
-गृह मंत्रालय ने 2014 में चुनाव जीतने वाले नेताओं और पार्टियों को समर्थन और बढ़ावा देने की सिफारिश की है.
-रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र सरकार की योजनाओं को लागू करवाने में चुने गए नुमाइंदों की मदद ली जानी चाहिए.
-कट्टर वहाबी इस्लाम और अलगाववादियों के प्रोपेगेंडा को रोकने के लिए शिया, बक्करवाल और पहाड़ी मुस्लिमों के लिए खास विकास योजनाएं चलाई जाएं.
-मस्जिदों के मौलवियों का सहयोग भारत-विरोधी अभियान पर काबू पाने में मदद कर सकता है.
- सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को अपने जम्मू-कश्मीर डिवीजन को मजबूत बनाने की जरुरत है. रिपोर्ट में अखबारों और टीवी चैनलों को भारत-समर्थक और भारत-विरोधी श्रेणियों में बांटा गया है. साथ ही कहा गया है कि भारत के खिलाफ एजेंडा वाले मीडिया को हतोत्साहित किया जाए.
-हुर्रियत के नरमपंथी धड़े से बातचीत शुरू की जाए. बाकी हुर्रियत नेताओं के खिलाफ आयकर और दूसरे विभाग कार्रवाई करें.
-पथराव करने वाले प्रदर्शनकारियों पर कड़े कानूनों के तहत कार्रवाई हो. पहली बार ये गलती करने वाले किशोरों के लिए खास जुवेनाइल होम बनाए जाएं.
- घाटी में आर्थिक विकास और रोजगार के अवसरों के लिए सरकार कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी बिल के प्रावधानों में बदलाव करे.
-खुफिया तंत्र और पुलिस का कायाकल्प किया जाए और स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) को साल 2002 की तरह दोबारा शुरू किया जाए.