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लोकपाल को लेकर अनशन पर बैठे अन्‍ना, बोले- 'अब करेंगे या मरेंगे’

सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे जन लोकपाल विधेयक को पारित करवाने के लिए मंगलवार से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं.

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अन्ना हजारे
अन्ना हजारे

सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे जन लोकपाल विधेयक को पारित करवाने के लिए मंगलवार से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू कर रहे हैं.

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महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में मंगलवार सुबह छह डिग्री सेल्सियस तापमान था. इसके बावजूद अन्ना हजारे हर रोज की तरह सुबह की सैर पर निकले. इसके बाद उन्होंने अपने नए संगठन जनतंत्र मोर्चा के बैनर के तहत यादवबाबा मंदिर के पास अनशन शुरू किया. डॉक्‍टरों ने अन्‍ना को 72 घंटों से ज्‍यादा अनशन ना रखने की सलाह दी है.

जन लोकपाल विधेयक या सिटीजन्स ओम्बुड्समैन बिल भ्रष्टाचार विरोधी कानून है, जिसे नागरिक समाज के कार्यकताओं ने तैयार किया है. इस कानून के तहत भ्रष्टाचार के मामलों की जांच के लिए एक स्वतंत्र समिति की नियुक्ति की मांग रखी गई है.

अन्ना ने सोमवार को कहा था, ‘हमसे लगातार वादा किया जाता रहा कि विधेयक को पारित किया जाएगा. लेकिन एक वर्ष से भी अधिक समय बीतने के बावजूद ऐसा नहीं किया गया. सरकार ने जनता को धोखा दिया है.’

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उन्होंने कहा कि विधेयक को संसद के मौजूदा सत्र में पारित किया जाना चाहिए. वह तब तक भूख हड़ताल करेंगे जब तक कि विधेयक पारित नहीं हो जाता. इस बार अन्ना अहमदनगर के अपने गांव रालेगण सिद्धि में स्थित यादवबाबा मंदिर के पास अनशन पर बैठेंगे.

अन्ना ने कहा कि रामलीला मैदान के अनशन के दौरान प्रधानमंत्री ने लिखित वादा किया था और वह अपने वादे से मुकर गए. अन्ना ने कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय केवल पत्र लिखकर आश्वासन देता है. कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती है. आश्वासन बहुत हुए अब करेंगे या मरेंगे.

उन्होंने कहा कि लोगों में सरकार के प्रति गुस्सा है, जो कि कल घोषित हुए चार राज्यों के विधानसभा परिणामों से जाहिर हो गया है. हार के कई कारण होंगे, लेकिन लोकपाल न लाना कांग्रेस की हार का एक मुख्य कारण है. अगर शीतकालीन सत्र में भी विधेयक पास नहीं होता है तो आने वाले लोकसभा चुनाव में जनता उसे सबक सिखाएगी. उसे हाल में संपन्न विधानसभा चुनावों से भी ज्यादा गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे.

अन्ना ने कहा कि पिछली बार सरकार ने मुझे लिखित आश्वसान दिया, इस वजह से मैंने अपना अनशन खत्म कर दिया था. मुझे नहीं मालूम था कि सरकार धोखाधड़ी करेगी. सरकार ने अपने लिखित आश्वासन का दो साल गुजरने के बाद भी पालन नहीं किया. जब वह दंगा विधेयक को इसी सत्र में पास करने के लिए आतुर हैं, तो वह ऐसी ही इच्छाशक्ति लोकपाल विधेयक को पारित करने के मामले में क्यों नहीं दिखा रहे हैं.

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