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'जिन्‍ना प्रेम' की जसवंत को मिली सजा

बीजेपी ने पार्टी के वरिष्‍ठ नेता जसवंत सिंह को पार्टी से निकाल दिया है. क्‍या जसवंत सिंह को निकाल कर भाजपा ने 'जिन्‍ना' के 'जिन्‍न' से मुक्ति पा ली है?

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जसवंत सिंह
जसवंत सिंह

बीजेपी ने जसवंत सिंह को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है. उन्हें पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से भी अलग कर दिया गया है. ऐसा शायद पहली बार हुआ है जब बीजेपी ने किसी नेता को बिना नोटिस दिए, पार्टी से निकाल दिया.

शिमला में हो रही है चिंतन बैठक
आज से शिमला में बीजेपी की चिंतन बैठक शुरू हुई है. जसवंत सिंह शिमला तो गए लेकिन बैठक में नहीं पहुंचे. पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने बताया कि उन्होंने कल ही जसवंत को बैठक में आने से मना कर दिया था. माना जा रहा है कि जसवंत को ये सज़ा उनके 'जिन्ना-प्रेम' की वजह से मिली है. जसवंत ने अपनी किताब में जिन्ना को सेक्युलर बताया है और देश के बंटवारे के लिए नेहरू और पटेल को ज़िम्मेदार ठहराया है.

किताब को लेकर संघ पहले ही था खफा
इस किताब को लेकर भगवा ब्रिगेड में पहले से बवाल मचा हुआ है. हालांकि बीजेपी ने जसवंत के विचारों से ख़ुद को अलग कर लिया था लेकिन माना यही जा रहा था कि शिमला चिंतन बैठक में इस मसले पर पार्टी कोई कड़ा कदम ज़रूर उठाएगी. जसवंत को पार्टी से निष्कासित करने की ताज़ा वजह है मुहम्मद अली जिन्ना के बारे में लिखी उनकी किताब जसवंत सिंह ने अपनी किताब में विभाजन के लिए जिन्ना के बदले नेहरू और पटेल को ही जिम्मेदार ठहरा दिया.

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