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जसवंत ने भाजपा के आग्रह को ठुकराया

भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के आग्रह के बावजूद पार्टी से निष्कासित नेता जसवंत सिंह ने संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने से साफ इंकार कर दिया.

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भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के आग्रह के बावजूद पार्टी से निष्कासित नेता जसवंत सिंह ने संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने से साफ इंकार कर दिया. भाजपा ने उनके फैसले पर अफसोस जताते हुए कहा कि उन्हें मालूम होना चाहिए कि पार्टी छोड़ने या पार्टी से निकाले जाने वाले को क्या करना होता है.

भाजपा में लौटने के रास्‍ते बंद हो चुके हैं
त सरकार द्वारा जिन्ना पर लिखी उनकी पुस्तक पर लगाए गए प्रतिबंध के फैसले को चुनौती देने के सिलसिले में उच्चतम न्यायालय आए सिंह से भाजपा के आग्रह पर पूछे जाने पर उन्होंने दो टूक कहा, ‘‘ मैं पीएसी से इस्तीफा नहीं दूंगा. यह बात कोई पार्टी तय नहीं कर सकती है और इस बारे में निर्णय लोकसभा अध्यक्ष करेंगी ना कि कोई राजनीतिक पार्टी.’’ भाजपा में लौटने की अटकलों पर भी विराम लगाते हुए उन्होंने कहा, ‘‘आप लोग इस बारे में चिंता नहीं करें. रास्ते बंद हो चुके हैं.’’

सुषमा ने मुलाकात कर किया था आग्रह
पीएसी के अध्यक्ष पद से हटने से इंकार कर देने पर प्रतिक्रिया करते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता एम वेंकैया नायडू ने कहा, ‘‘पार्टी को छोड़ देने वाले या पार्टी से निकाल दिए जाने वाले को क्या करना होता है यह जसवंत को मालूम है.’’ भाजपा की वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज और एस एस अहलुवालिया ने सिंह से मुलाकात करके उनसे आग्रह किया था कि पार्टी चाहती है कि वह पीएसी का अध्यक्ष पद छोड़ दें. पार्टी में रहते सिंह को यशवंत सिन्हा और गोपीनाथ मुंडे के साथ भाजपा ने पीएसी के सदस्य के रूप में नामित किया था. संसदीय परंपरा के अनुसार सिंह के इन तीनों में सबसे वरिष्ठ होने के चलते उन्हें इस समिति का अध्यक्ष बना दिया गया. लेकिन कुछ ही दिन बाद पार्टी ने उन्हें निष्कासित कर दिया. संसदीय परंपरा के अनुसार ही पीएसी की अध्यक्षता मुख्य विपक्षी दल को दी जाती है.

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