गुरमीत राम रहीम पर एक ऐतिहासिक फैसला सुनाने के बाद पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने शुक्रवार को जाट आरक्षण पर भी बड़ा फैसला दिया है. हाईकोर्ट के ताजा फैसले के मुताबिक जाट आरक्षण पर रोक बरकरार रखा है. कोर्ट ने कहा है कि बैकवर्ड कैटेगरी में जाटों और अन्य 6 जातियों को कितने प्रतिशत आरक्षण देना है ये सरकार की तरफ से बनाया गया कमीशन तय करेगा. इस बात की आशंका जाट नेताओं को पहले से ही थी. इसी वजह से उन्होंने पहले से ही 3 सितंबर को हरियाणा के झज्जर में रैली करने की तैयारी कर रखी थी.
झज्जर रैली से भड़क सकती है हिंसा
कोर्ट के फैसले के बाद जाटों की झज्जर रैली में हिंसा भड़कने की पूरी संभावना है. डेरा सच्चा विवाद से जूझ रही हरियाणा सरकार के लिए अब जाट भी बड़ी मुसीबत खड़ी कर सकते हैं. यह समय हरियाणा सरकार के लिए कठिनाई भरा होगा. आपको याद दिला दें कि जाटों ने पिछले साल फरवरी में भी ऐसा ही विरोध प्रदर्शन किया था जिसके बाद फैली हिंसा में 30 लोगों की जान चली गई थी और 300 से ज्यादा लोग घायल हुए थे.
ऑल इंडिया जाट आरक्षण संघर्ष समिति (AIJASS) जाट आंदोलन का नेतृत्व कर रहा है. जाट संगठनों ने आरक्षण ना देने पर विशाल आंदोलन की धमकी दे रखी है.
कोर्ट जाटों और अन्य समुदायों को हरियाणा में 10 प्रतिशत आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा था. आपको बता दें कि कोर्ट की डिवीजन बेंच ने इस मामले में मार्च में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. इस मामले में खट्टर सरकार ने हरियाणा पिछड़ा वर्ग (सेवा और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण) एक्ट, 2016 का बचाव किया था. हालांकि इस आरक्षण को यह कहते हुए चुनौती दी गई थी कि यह संविधान की मूल भावना के खिलाफ है और सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय किए गए 50 प्रतिशत सीमा को लांघता है. इसके बाद हाईकोर्ट ने इस पर स्टे लगा दिया था.
हरियाणा सरकार ने जाटों के साथ-साथ जाट सिख, रोड़, बिश्नोई, त्यागी और मुल्ला जाट/मुस्लिम जाट को आरक्षण देने के लिए पिछड़ी जातियों का शेड्यूल 3 जारी किया था. इसके तहत इन जातियों को ब्लॉक सी, बीसी-सी कैटिगरी में आरक्षण का लाभ दिया गया है. आरक्षण प्रावधान के तहत जाटों सहित इन छह जातियों को तीसरी और चौथी कैटिगरी की नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण का फायदा दिया गया. इसी तरह से पहली और दूसरी कैटिगरी की नौकरियों में इन जातियों को 6 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया गया था.