सिखों की धार्मिक संस्था अकाल तख़्त के जत्थेदार जोगिंदर सिंह वेदांती ने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया है. उन्हें 2001 में अकाल तख्त का जत्थेदार बनाया गया था. कहा जा रहा है कि डेरा सच्चा सौदा के प्रति नरमी बरतना और एसजीपीसी की अनदेखी करने की क़ीमत वेदांती को इस्तीफ़ा देकर चुकानी पड़ी. पिछले 7 सालों से अकाल तख़्त के अगुवा रहे ज्ञानी जोगिंदर सिंह वेदांती की तकलीफ़ उनके चेहरे से साफ दिखती है. वेदांती की मानें तो एसजीपीसी के दो बड़े नेता, राजिंदर सिंह मेहता और सुखदेव सिंह भौर ने ख़ुद उन्हें इस्तीफ़ा देने के लिए मजबूर किया.
जोगिंदर सिंह वेदांती से इस्तीफ़ा लेने के पीछे कई वजहें बताई जा रही हैं. एक तो अमेरिका में खलिस्तान के हक़ में बयान दिया, दूसरे परमाणु करार पर उठे राजनीतिक बवाल के दौरान, वेदांती ने डील की हिमायत करते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की तरफ़दारी की. कांग्रेस वेदांती के इस्तीफ़े को पंजाब के लिए नुक्सानदेह बता रही है.
वेदांती के इस्तीफ़े के पीछे एसजीपीसी के अध्यक्ष अवतार सिंह मक्कड़ से उनके मतभेदों को भी ज़िम्मेदार बताया जा रहा है. साथ ही ये भी कहा जा रहा है कि डेरा सच्चा सौदा के ख़िलाफ़ वेदांती का ढुलमुल रवैया एसजीपीसी को रास नहीं आया.