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नेहरू के राज सोनिया के पास रहेंगे दफन

देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू पर अपने अधिकार को कांग्रेस बीते कई दिनों से जताने की पूरी कोशिश कर रही है. इस बीच सोनिया गांधी ने जवाहर लाल नेहरू से जुड़े निजी कागजातों को सार्वजनिक करने से इंकार कर दिया है. इन कागजातों को स्कॉलर्स की पढ़ाई के लिए बेहद उपयोगी बताया जा रहा है.

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सोनिया गांधी (फाइल फोटो)
सोनिया गांधी (फाइल फोटो)

देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू पर अपने अधिकार को कांग्रेस बीते कई दिनों से जताने की पूरी कोशिश कर रही है. इस बीच सोनिया गांधी ने जवाहर लाल नेहरू से जुड़े निजी कागजातों को सार्वजनिक करने से इनकार कर दिया है. इन कागजातों को स्कॉलर्स की पढ़ाई के लिए बेहद उपयोगी बताया जा रहा है.

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'द टाइम्स ऑफ इंडिया' की खबर के मुताबिक, सोनिया ने 'नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी' में नेहरू से जुड़े कुछ कागजात उपलब्ध करवाए थे. लेकिन इन कागजातों में नेहरू की जिंदगी से जुड़े निजी कागजात शामिल नहीं हैं. सोनिया ने लाइब्रेरी में केवल 1947 से लेकर 1964 तक के नेहरू से जुड़े ऑफिशयल कागजात, चिट्ठियां, भाषण और दूसरे दस्तावेज दिए हैं. छात्रों का कहना है कि नेहरू से जुड़े निजी कागजातों के सामने आने से नेहरू की शख्सियत को बेहतर तरीके से समझा जा सकेगा.

सोनिया के इस इंकार के बाद नेहरू की बेटी इंदिरा गांधी, पिता मोती लाल नेहरू, मां स्वरूप रानी, पत्नी कमला नेहरू और बहन विजयलक्ष्मी पंडित और कृष्णा को लिखी चिट्ठियों को कोई नहीं पढ़ सकेगा. नेहरू के निजी कागजातों को सार्वजनिक करने की मांग इस साल जून में इतिहासकार सूसैन डाबनी ने उठाई. डाबनी की मांग के बाद नेहरू से जुड़े दस्तावेज नेहरू लाइब्रेरी से मांगे गए, जिसके बाद सोनिया गांधी को इस बारे में रिक्वेस्ट भेजी गई और सोनिया ने निजी कागजात मुहैया कराने से इंकार कर दिया.

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