पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के बारे में आलोचनात्मक लेख छापने पर तीन साल तक बंद रहने के बाद हिंदी मासिक पत्रिका कांग्रेस दर्शन ने लोकसभा चुनाव के पहले फिर से वापसी की है. 60 पन्ने वाली पत्रिका ने अपनी कवर स्टोरी में प्रियंका गांधी वाड्रा के राजनीति में औपचारिक आगमन का स्वागत किया है.
कश्मीर के लिए तथा राष्ट्र निर्माण की दिशा में बहुमूल्य योगदान के लिए नेहरू की सराहना भी की गई है. औपचारिक रूप से यह कांग्रेस की पत्रिका नहीं है. दिसंबर 2015 में इस पत्रिका में एक लेख प्रकाशित हुआ था, जिसमें कश्मीर और चीन समस्या के लिए नेहरू को दोषी ठहराया गया था.
उन पर अंतरराष्ट्रीय मामलों में अपने सहयोगी सरदार वल्लभभाई पटेल की सलाह की उपेक्षा का भी आरोप लगाया गया था. इस लेख के प्रकाशन के बाद पत्रिका की प्रतियां वापस मंगा ली गई थी.
आलेख में तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी पर भी कुछ आपत्तिजनक टिप्पणी की गई थी. विवाद बढ़ने के बाद तत्कालीन संपादक को हटा दिया गया था और मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष संजय निरूपम ने बिना शर्त माफी भी मांगी थी.
पत्रिका के नए अंक में राजनीतिक फायदे के लिए सशस्त्र बलों के शौर्य का राजनीतिकरण करने के लिए मोदी सरकार की आलोचना की गई है. पत्रिका के संस्थापक संपादक कृपाशंकर तिवारी ने कहा कि यह पार्टी की पत्रिका या प्रकाशन नहीं है.
तिवारी ने कहा कि कांग्रेस दर्शन ना तो पार्टी की पत्रिका है, ना ही प्रकाशन. पार्टी से इसे धन राशि नहीं मिलती है. आज भी इसका ध्यान पार्टी के सिद्धांतों के प्रसार पर है. कुछ विवाद के कारण इसे बंद कर दिया गया था, लेकिन वो दिन बीत गए और हम वापस आ चुके हैं.
तिवारी ने कहा कि हम आश्वस्त हैं कि फिर से ऐसा विवाद नहीं होगा. सोनिया गांधी ने नौ दिसंबर 2003 को पत्रिका का विमोचन किया था.