तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जे. जयललिता की मौत पर सालभर बाद भी शंका का दौर जारी है. जयललिता के मौत की जांच की घोषणा होने के बाद तमिलनाडु के वन मंत्री सी. श्रीनिवासन ने एक और खुलासा किया है. उनके अनुसार उन लोगों ने जयललिता के स्वास्थ्य के बारे में झूठ बोला था.
यही नहीं श्रीनिवासन ने यह भी बड़ा खुलासा किया है कि अरुण जेटली, अमित शाह, वैंकेया नायडु, राहुल गांधी और डीएमके के कई बड़े लीडर्स जयललिता से मिलने पहुंचे थे. हालांकि उन्हें भी सिर्फ शशिकला और प्रताप रेड्डी से मुलाकात करने दिया गया.
तमिलनाडु के वन मंत्री सी. श्रीनिवासन ने न सिर्फ खुलासा किया है बल्कि अपने झूठे बयान के लिए जनता से माफी भी मांगी है. श्रीनिवासन के बयान के बाद एक बार फिर जयललिता की करीबी सहयोगी रही वी. के. शशिकला सवालों के घेरे में हैं.
तमिलनाडु के वन मंत्री सी. श्रीनिवासन ने तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जे. जयललिता के अपोलो अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान उनके स्वास्थ्य के बारे में 'झूठ' बोलने पर लोगों से माफी मांगी है. श्रीनिवासन ने शुक्रवार को मदुरई में एक जनसभा में कहा, "हमने यह झूठ बोला था कि उन्होंने (जयललिता) इडली खाई और लोगों से मुलाकात की. सच्चाई यह है कि किसी ने भी उन्हें नहीं देखा था. "
श्रीनिवासन ने कहा कि वह 'उन झूठों' के लिए लोगों से माफी मांगते हैं. उनके अनुसार, सरकार में शामिल और सत्तारूढ़ एआईएडीएमके पार्टी के सभी लोगों ने यह झूठ बोला कि वे लोग जयललिता से अपोलो अस्पताल में मिले हैं. उनके अनुसार अंतिम दिनों में किसी भी ने जयललिता से मुलाकात नहीं की थी. श्रीनिवासन ने कहा कि एआईएडीएमके के मंत्रियों और यहां तक की राष्ट्रीय नेताओं को भी अपोलो प्रमुख प्रताप रेड्डी के कमरे में बैठना पड़ता था. श्रीनिवासन ने कहा, "हमने तब झूठ बोला था ताकि पार्टी के राज को छुपाया जा सके. जयललिता के अस्पताल कक्ष में उनसे किसी ने भी मुलाकात नहीं की थी."
श्रीनिवासन ने यह भी बताया कि जयललिता के अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान सरकार और अस्पताल की ओर से उनके स्वास्थ्य के बारे में जो बताया गया, वह काफी कम था। उनके स्वास्थ्य के बारे में अधिकतर यही सूचना दी गई थी कि वह अब बेहतर हो रही हैं.
आपको बता दें कि जयललिता को पिछले साल 22 सितम्बर की रात खराब स्वास्थ्य की वजह से अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया था और पांच दिसम्बर को उनका निधन हो गया था. श्रीनिवासन ने कहा कि कई वर्षो से जयललिता की करीबी सहयोगी रही वी. के. शशिकला को ही उनसे मिलने दिया जाता था.
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए शशिकला के भतीजे टी.टी.वी दीनाकरण ने बताया कि 1 अक्टूबर 2016 के बाद शशिकला को भी जयललिता से मिलने की इजाजत नहीं थी. उन्होंने कहा कि डाक्टरों के दिशा-निर्देश के बाद केवल दो मिनट के लिए उन्हें जयललिता से मिलने दिया जाता था.
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के. प्लानीस्वामी ने कुछ दिन पहले ही जयललिता की मौत की जांच सेवानिवृत्त न्यायाधीश से कराने के सरकार के निर्णय की घोषणा की है. जयललिता की मौत के बाद, उनकी मौत के पीछे षड्यंत्र का अनुमान लगाया जा रहा है और कई आलोचक जेल में बंद शशिकला की ओर अंगुली उठा रहे हैं.