दिल्ली में मायावती के नए सरकारी आवास पर तीसरे मोर्चे के तमाम नेता सियासत की दावत उड़ाने पहुंचे. कोशिश थी दावत के बहाने लाल को नीले रंग में रंगने की, लेकिन लेफ्ट के नेता लाल-पीले होकर निकले.
एबी बर्धन डी राजा के साथ पहुंचे, चंद्रबाबू नायडू-सीताराम येचुरी साथ-साथ पहुंचे. वहीं प्रकाश करात का भी बसपा की ओर से सतीश चंद्र मिश्रा ने भरपूर स्वागत किया. इस दावत में जयललिता के नहीं आने से कई अहम सवाल खड़े हो गए. लेकिन बर्धन शायद पहले से ही बिदके हुए थे और रही-सही बात सीताराम येचुरी ने साफ कर दी.
इससे पहले दिन में ही मायावती साफ कर चुकी थीं कि प्रधानमंत्री बनने के लिए उन्हें मोर्चा का मुंह देखना पसंद नहीं है. बेहतर है कि वे अकेले चुनाव लड़ेंगी. लेकिन जो दुविधा दिल्ली में हुए भोज के पहले थी, वह उसके बाद भी बरकरार रही.
9 पार्टियों ने एक साथ दिखने की कोशिश की, लेकिन चाल सबकी अलग-अलग थी. लेकिन इस बहाने मायावती ने एक बात जरूर साफ कर दी कि चुनाव के बाद भी तीसरे मोर्चे की धुरी वो खुद बनी रहेंगी.