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विधायक दल की नेता चुनी गईं जयललिता, तमिलनाडु CM पनीरसेल्वम का इस्तीफा

अन्नाद्रमुक प्रमुख जयललिता एक बार फिर पार्टी के विधायक दल की नेता चुन ली गई हैं. वह शनिवार को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगी. मौजूदा मुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम ने पद से इस्तीफा दे दिया है.

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Jayalalitha
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अन्नाद्रमुक प्रमुख जयललिता एक बार फिर पार्टी के विधायक दल की नेता चुन ली गई हैं. वह शनिवार को सुबह 11 बजे तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगी. मौजूदा मुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम ने पद से इस्तीफा दे दिया है.

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पार्टी के 150 विधायकों की बैठक में शुक्रवार सुबह यह फैसला लिया गया. इससे पहले मुख्यमंत्री पनीरसेल्वम ने जयललिता से उनके घर पहुंचकर मुलाकात की. हाल ही में जेल से बाहर आईं एआईएडीएमके प्रमुख जयललिता दोबारा तमिलनाडु के मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने को तैयार हैं.

इससे पहले आय से अधि‍क संपत्ति‍ मामले में जयललिता जेल में सजा काट रही थीं. लेकिन हाल ही में कर्नाटक हाई कोर्ट ने बड़ी राहत देते हुए उस फैसले को खारिज कर दिया था, जिसमें उन्हें 4 साल कैद की सजा सुनाई गई थी. कोर्ट ने जयललिता समेत सभी चार आरोपियों को बरी कर दिया था.

'यह न्याय की जीत है'
कोर्ट के फैसले के बाद जयललिता ने इसे 'यह न्याय की जीत' बताया था. उन्होंने कहा था, 'यह उन लोगों की हार है जो मेरी और एमजीआर की विरासत को बदनाम करने की साजिश रच रहे थे. यह मेरी नहीं बल्कि‍ सच की जीत है. यह तमिलनाडु के लोगों की जीत है.'

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जयललिता के शपथ ग्रहण में राजनीतिक जगत के कौन दिग्गज शामिल होंगे, यह अभी साफ नहीं है. हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनकी दोस्ती जगजाहिर है. बरी किए जाने के बाद प्रधानमंत्री ने भी उन्हें फोन करके बधाई दी थी. जयललिता ने जब 2011 में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली थी तब मोदी उस कार्यक्रम में शामिल हुए थे. वहीं अगले वर्ष जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले रहे थे तब जयललिता उस कार्यक्रम में पहुंची थीं.

4 साल कैद और 100 करोड़ जुर्माने की सुनाई गई थी सजा
करीब 67 करोड़ रुपये की आय से अधिक संपत्ति मामले में जस्टिस कुमारस्वामी ने यह फैसला सुनाया था. जयललिता ने मामले में बेंगलुरु स्पेशल ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अर्जी दी थी. पिछले साल 27 सितंबर को विशेष अदालत के न्यायाधीश माइकल डी कुन्हा ने जयललिता को 4 साल जेल और 100 करोड़ रुपये जुर्माना की सजा सुनाई थी. इसके अलावा उनकी सहयोगी एन शशिकलास, जे एलवरसी और दत्तक पुत्र वी एन सुधाकरन को भी चार-चार साल की सजा और 10 -10 लाख रुपये के जुर्माना की सजा सुनाई थी. यह 1996 का मामला है.

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