तमिलनाडु में सीएम का ताज भले ही शशिकला समर्थक पलानीस्वामी के सिर सज गया हो, लेकिन पन्नीरसेल्वम धड़ा जयललिता की मौत से जुड़े विवाद को जिंदा रख रहा है. गुरुवार को तमिलनाडु विधानसभा के पूर्व स्पीकर पी एच पांडियन ने दावा किया कि जयललिता को उनके पोएस गार्डन के घर पर किसी ने धक्का दिया था और इसी के बाद 22 सितंबर को उन्हें चेन्नई के अपोलो अस्पताल में भर्ती करवाया गया था. पन्नीरसेल्वम खेमे में सबसे पहले शामिल होने वाले नेताओं में से एक पांडियन धक्का दिये जाने के बाद एक पुलिसकर्मी ने एंबुलेंस को बुलाया और उसके बाद अस्पताल में क्या हुआ ये कोई नहीं जानता.
अस्पताल को सब मालूम था!
पांडियन की मानें तो अपोलो अस्पताल ने डिस्चार्ज रिपोर्ट में जयललिता के गिरकर घायल होने की बात मानी थी. अम्मा इस अस्पताल में करीब 75 दिन रही थीं. पांडियन के मुताबिक जयललिता के भर्ती होने के बाद अस्पताल से लगभग 27 सीसीटीवी कैमरे हटा दिये गए थे. पांडियन और उनके बेटे मनोज पांडियन का कहना था कि कि एंबुलेंस के जयललिता के आवास पर आने और फिर अस्पताल पहुंचने का वक्त बताया जाना चाहिए. उन्होंने अस्पताल की सीसीटीवी फुटेज को भी सार्वजनिक करने की मांग की.
किसके कहने पर हटाया लाइफ सपोर्ट सिस्टम?
पांडियन ने हैरानी जताई कि जयललिता के इलाज के सिंगापुर से फिजियोथेरेपिस्ट को बुलाया गया. जबकि अपोलो अस्पताल में ऐसे कई विशेषज्ञ मौजूद हैं. उन्होंने पूछा कि जयललिता के लाइफ सपोर्ट सिस्टम को हटाने का आदेश किसने दिया था. पांडियन के मुताबिक जयललिता ने 4 दिसंबर को शाम 4.30 बजे आखिरी सांस ली थी. लेकिन उनके निधन का ऐलान अगले दिन किया गया. उन्होंने अस्पताल प्रशासन से इस बारे में सफाई देने की मांग की. पन्नीरसेल्वम के 12 समर्थक विधायक पहले भी राष्ट्रपति से जयललिता के निधन की जांच की मांग कर चुके हैं.