गुजरात में कथित रूप से फर्जी मुठभेड़ में मारी गई इशरत जहां को लेकर बिहार की राजनीति गरमा गई है. एनडीए से हाल ही में अलग हुई जेडीयू इशरत को 'बिहार की बेटी' बताकर बीजेपी को निशाना बना रही है, वहीं बीजेपी ने जेडीयू पर एक आतंकी को महिमामंडित करने का आरोप लगाया है.
बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा कि जेडीयू अल्पसंख्यकों के वोट के लिए इशरत के आतंकवादियों से सम्बंध को नकार कर उसे बिहार से जोड़ रहा है. उन्होंने यहां तक कहा कि देश की सुरक्षा को ताक पर रखकर आतंकवाद को संरक्षण दिया जा रहा है.
जेडीयू पर व्यंग्य करते हुए उन्होंने कहा कि इशरत को महिमामंडित करने के चक्कर में पार्टी कहीं अपने कार्यालय में उसकी मूर्ति न स्थापित कर दे और बिहार सरकार कहीं इशरत के परिजनों को मुआवजा देने की घोषणा न कर दे. उन्होंने सवाल किया कि यदि अफजल गुरु बिहार का होता, तो क्या जेडीयू उसे भी महिमामंडित करता.
उधर, जेडीयू ने पूरे मामले में इशरत के परिजनों के लिए न्याय की मांग की है. विधान पार्षद और जेडीयू नेता देवेश चंद्र ठाकुर ने कहा कि उनकी पार्टी बिहार की बेटी के लिए इंसाफ की लड़ाई का समर्थन करेगी. उन्होंने बीजेपी से इशरत के आतंकवादियों से जुड़े होने के प्रमाण भी मांगे.
गौरतलब है कि इशरत का जन्म बिहार की राजधानी पटना के निकट खगौल में हुआ था. वह 20 साल की होने तक यहीं अपने नाना के घर खगौल में रही थी. आज भी उनके मामा पटना में रहते हैं.
मुम्बई की छात्रा इशरत को वर्ष 2004 में गुजरात पुलिस ने उसके तीन साथियों के साथ कथित मुठभेड़ में मार गिराया था. इस मामले की जांच कर रहे केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने हालांकि बुधवार को अहमदाबाद की विशेष अदालत में इस मामले को लेकर दायर पहले आरोप-पत्र में मुठभेड़ को फर्जी करार दिया.