भ्रष्टाचार के कारण झारखंड की बदनामी होने का जिक्र करते हुए गृह मंत्री पी चिदंबरम ने शुक्रवार को कहा कि मुख्यमंत्री पद से शिबू सोरेने के इस्तीफे के बाद लगे राष्ट्रपति शासन के दौरान राज्य में ऐसे मामलों में सख्ती की जानी चाहिए.
उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच की जानी चाहिए और दोषी को न्याय के दायरे में लाया जाना चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने सचिवों से कहा कि कल्याणकारी एवं विकास योजनाओं के संबंध में 30 जून तक प्राथमिकताएं तय करें. राजभवन में एक बैठक की अध्यक्षता करते हुए चिदंबरम ने कहा कि नक्सल समस्या से निबटने के लिए केंद्र राज्य को हर संभव मदद देने को तैयार है.
बैठक में राज्यपाल एम ओ एच फारूक और मुख्य सचिव ए के सिंह ने भी भाग लिया. राजभवन से जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार चिदंबरम ने कहा कि झारखंड प्रशासन को माओवादी समस्या से गंभीरता और दृढ़संकल्प के साथ निबटना चाहिए. कल्याणकारी योजनाओं के समय से कार्यान्वयन के जरिए झारखंड को विकास के रास्ते पर लौटाने की आवश्यकता पर बल देते हुए चिदंबरम ने कहा कि वृद्ध लोगों की पेंशन, नरेगा, जन वितरण प्रणाली, सड़क निर्माण योजनाओं को उचित तरीके से लागू किया जाना चाहिए.
बैठक में फारूक ने चिदंबरम से अनुरोध किया कि गिरिडीह, रांची ग्रामीण और खूंटी जिलों को भी उग्रवाद प्रभावित जिलों की सूची में शामिल किया जाए. उन्होंने नक्सल विरोधी बलों, झारखंड जगुआर, स्पेशल टास्क फोर्स और कोबरा बटालियन के लिए वित्तीय सहायता की भी मांग की.