झारखंड में मौजूदा राजनीतिक गतिरोध का पटाक्षेप करने के नये प्रयास में भाजपा ने झामुमो और आजसू के समर्थन से राज्य में सरकार गठन करने का दावा करने का आज निर्णय किया.
उल्लेखनीय है कि झारखंड में अभी राष्ट्रपति शासन लागू है. भाजपा के वरिष्ठ नेता अजय मारू ने कहा, ‘‘पार्टी ने नयी सरकार बनाने का निर्णय किया है. अब भाजपा के विधायक नये नेता का चुनाव करेंगे और दावा करने के लिए राज्यपाल से मुलाकात का समय मांगेंगे.’ इससे पहले राज्य में भाजपा और झारखंड मुक्ति मोर्चा ने गठबंधन कर सरकार बनाई थी. अप्रैल में लोकसभा में बजट सत्र के दौरान भाजपा द्वारा लाये गये कटौती प्रस्ताव का मुख्यमंत्री शिबू सोरेन द्वारा विरोध करने पर राज्य में इस गठबंधन सरकार का पतन हो गया था.
इस सरकार के गिरने के तीन महीने बाद दोनों पार्टियां फिर से सरकार बनाने की कवायद कर रही हैं. भाजपा प्रवक्ता संजय सेठ ने कहा कि विधायक दल के नेता रघुवर दास ने पद छोड़ दिया है. इस घटनाक्रम से कयास लगाये जा रहे हैं कि पूर्व मुख्यमंत्री अजरुन मुंडा भाजपा नीत सरकार की कमान संभालेंगे.
झामुमो के प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा, ‘सरकार बनाने की भाजपा की पहल में झामुमो ने पार्टी को बिना शर्त समर्थन देने का निर्णय किया है.’{mospagebreak}
भट्टाचार्य की टिप्पणी ऐसे समय आयी है जब शिबू सोरेन के बेटे और पार्टी नेता हेमंत सोरेन ने कहा कि उनकी पार्टी समान विचारधारा वाले दलों का समर्थन करने को तैयार है क्योंकि राज्य में फिर से चुनाव होने पर विधानसभा त्रिशंकु होने की आशंका है.
झामुमो द्वारा भाजपा की पहल को बिना शर्त समर्थन देने के बाद दल के विधायक बैठक के लिए भाजपा मुख्यालय में जुट गये हैं.
आजसू के उपाध्यक्ष प्रवीण प्रभाकर ने कहा कि उनके दल के पांच विधायकों ने भाजपा की पहल को बिना शर्त समर्थन करने का निर्णय किया है. भाजपा ने लोकसभा में जो कटौती प्रस्ताव पेश किया था सोरेन ने उसका विरोध किया था जिसके बाद भाजपा के संसदीय बोर्ड ने 28 अप्रैल को झामुमो नीत सरकार से समर्थन वापस ले लिया था.
बहरहाल झामुमो विधायक दल के नेता हेमंत ने जब भाजपा अध्यक्ष नीतिन गडकरी को पत्र लिखकर भाजपा नेतृत्व में सरकार बनाने का भरोसा दिलाया तो इस निर्णय पर रोक लगा दी गयी.
हेमंत सोरेन के निर्णय से झामुमो ने एक बार फिर पलटा खाया और विधानसभा के शेष 28 महीने के कार्यकाल के लिए रोटेशन आधार पर हर दल को सत्ता में साझेदारी देने की मांग की. हालांकि 25 मई को मुख्यमंत्री शिबू सोरेन के इस्तीफे की सहमति पर भाजपा ने इस मांग को मान लिया था जिसके बाद गठबंधन सरकार का नेतृत्व अर्जुन मुंडा को करना था.
इसके बाद झामुमो झारखंड में इस समझौते से भी पीछे हट गया और भाजपा ने 23 मई को शिबू सोरेन सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया. शिबू सोरेन को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा और राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया.