चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की भारत यात्रा के पहले निर्वासित तिब्बत सरकार ने धर्मशाला में तीन दिन की विशेष आम सभा आयोजित की. इस बैठक में 24 देशों के 345 ऐसे प्रतिनिधि शामिल हुए जो धार्मिक तिब्बती नेता हैं. इसमें पास प्रस्ताव में कहा गया है कि दलाई लामा अपने 'पुनर्जन्म' यानी उत्तराधिकारी के बारे में खुद फैसला करेंगे.
शनिवार को दलाई लामा के पुनर्जन्म जैसे महत्वपूर्ण मसले पर सर्वसम्मति से चार प्रस्ताव पास किए गए. इस बैठक के बाद इंडिया टुडे से विशेष बातचीत करते हुए निर्वासित तिब्बत सरकार के प्रेसीडेंट लॉबसांग सांग्ये ने कहा कि चीन को 'पुनर्जन्म' जैसे मसले पर निर्णय लेने का कोई अधिकार नहीं है इसलिए चीन की कम्युनिस्ट पार्टी को धर्म के मामले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए.
दलाई लामा के पुनर्जन्म के लिए प्रस्ताव
लॉबसांग सांग्ये ने कहा, 'हमने प्रस्ताव पास किया है कि चीन सरकार ने 2007 में पुनर्जन्म को लेकर जो दस्तावेज नंबर पांच जारी किया था, वह हमें स्वीकार नहीं है. चीन के पास पुनर्जन्म की प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने की कोई विश्वसनीयता नहीं है. चीन सरकार के दस्तावेज नंबर पांच में कहा गया है कि कम्युनिस्ट पार्टी जिला स्तर, राज्य स्तर और राष्ट्रीय स्तर पर पदानुक्रम और उनकी श्रेणियों के अनुसार पुनर्जन्म की मान्यता का फैसला करेगी.
आगे उनका कहा, 'कम्युनिस्ट पार्टी को धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए. जहां तक दलाई लामा के पुनर्जन्म की बात है तो इस पर फैसला सिर्फ और सिर्फ दलाई लामा ही लेंगे, कोई और नहीं.' यह चर्चा दो विषयों के इर्द गिर्द रही, केंद्रीय तिब्बती प्रशासन का विजन 550 और दलाई लामा का तिब्बती लोगों से संबंध. तिब्बती सरकार की संसद में स्पीकर और डिप्टी स्पीकर ने इन प्रस्तावों को सर्वसम्मति से पास कर दिया.
क्या कहता है प्रस्ताव?
पहला प्रस्ताव दलाई लामा के लंबे और स्वस्थ जीवन को लेकर था, जिसमें तिब्बती लोगों द्वारा दलाई लामा का आभार व्यक्त किया गया. दूसरा प्रस्ताव कहता है कि पुनर्जन्म की प्रक्रिया तब तक जारी रहेगी, जब तक इस दुनिया में तिब्बतियों का वजूद रहेगा. तीसरे प्रस्ताव में कहा गया कि दलाई लामा और उनके कार्यालय का अधिकार बना रहेगा. चौथे प्रस्ताव में कहा गया कि सभी सदस्य चीन सरकार के 2007 के आदेश नंबर पांच को सर्वसम्मति से खारिज करते हैं.
चीन कहता रहा है कि दलाई लामा का अगला अवतरण तिब्बत में होगा. लेकिन पूरी दुनिया में रह रहे तिब्बती समुदाय का कहना है कि दलाई लामा का अवतरण कहीं भी हो सकता है, क्योंकि चीन सरकार दलाई लामा के नाम पर कोई कठपुतली नेता नियुक्त कर सकती है.
दलाई लामा को धार्मिक आजादी हो
निर्वासित सरकार के प्रेसीडेंट सांग्ये ने कहा, 'परम पावन दलाई लामा ने स्पष्ट कर दिया है कि उनका पुनर्जन्म एक आजाद देश में होगा जहां दलाई लामा को धार्मिक आजादी हो. हम महसूस करते हैं कि दलाई लामा का पुनर्जन्म चीन में नहीं हो सकता है, जहां पर बौद्ध धर्म को हतोत्साहित किया गया और मोनेस्ट्रीज को नष्ट कर दिया गया.'
चीनी राष्ट्रपति की भारत यात्रा के ठीक पहले इस बैठक के आयोजन पर सवाल करने पर निर्वासित सरकार के प्रमुख ने कहा कि यह महज 'इत्तेफाक' है. प्रेसीडेंट सांग्ये ने कहा, 'यह इत्तेफाक है कि निर्वासित तिब्बत सरकार की आम सभा के ठीक बाद चीन के राष्ट्रपति भारत आ रहे हैं. हमने फरवरी में ही इस बैठक का फैसला कर लिया था. हमारा संदेश साफ है कि चीन की सरकार को दलाई लामा समेत धार्मिक नेताओं के मामलों में दखल नहीं देना चाहिए.'
तिब्बत के मसले पर समाधान की उम्मीद के सवाल पर उन्होंने कहा, 'हम तिब्बत के मुद्दे का समाधान देखना चाहेंगे. बीच का रास्ता अपनाते हुए हम चीनी संविधान के ढांचे के तहत वास्तविक स्वायत्तता चाहते हैं. यह चीन सरकार और तिब्बत के लोगों के लिए भी जीत की स्थिति होगी. यह बीच का रास्ता है और चीन सरकार को तिब्बत मामले का शांतिपूर्ण समाधान करने के लिए इस पर विचार करना चाहिए.'