बीजिंग ओलंपिक के क्वार्टर फाइनल में पहुंचे जितेंदर कुमार और पूर्व महिला विश्व चैम्पियन लेखा के सी उन तीन मुक्केबाजों में शामिल हैं जिनका नाम भारतीय मुक्केबाजी महासंघ ने इस साल अजरुन पुरस्कारों के लिये भेजा है.
आईबीएफ ने एन उषा को तीसरी मुक्केबाज के रूप में इस पुरस्कार के लिये भेजा है, जो 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस के मौके पर दिये जायेंगे.
लेखा ने 2006 में यहां हुई विश्व चैम्पियनशिप में मिडिलवेट वर्ग में स्वर्ण पदक हासिल किया था जबकि उषा इसी टूर्नामेंट में दो बार की रजत पदकधारी है.
आईबीएफ के निदेशक एएस डागर ने कहा, ‘‘पिछले तीन वषरें में इन तीनों ने शानदार प्रदर्शन किया है और हमें लगता है कि अजरुन पुरस्कार के लिये ये तीनों सर्वश्रेष्ठ दावेदार हैं.’’ लेखा और उषा का नाम पिछले साल भी इस पुरस्कार के लिये भेजा गया था, लेकिन जितेंदर का नाम पहली बार नामांकित किया गया है.
दो बार के एशियाई चैम्पियनशिप के कांस्यपदक जीतने वाले जितेंदर ने कहा, ‘‘इस पुरस्कार के लिये मेरे नाम की सिफारिश किया जाना मेरे लिये सम्मान की बात है.’’ इस 22 वर्षीय हरियाणा के मुक्केबाज ने बीजिंग ओलंपिक के कुछ महीने बाद 2008 विश्व कप में कांस्य पदक जीता था.
आईबीएफ ने तीन कोच शिव सिंह, जी मनोहरन और आई वेंकटेशवर राव का नाम द्रोणाचार्य पुरस्कारों के लिये भेजा है. शिव सिंह सीनियर पुरूष टीम के कोचिंग स्टॉफ हैं जबकि मनोहरन युवा स्तर पर मुक्केबाजों को तैयार कर रहे हैं. राव भारतीय महिला मुक्केबाजों को कोचिंग दे रहे हैं.