जम्मू कश्मीर के किश्तवाड़ इलाके में ईद के दिन से सांप्रदायिक दंगे भड़के हुए हैं. बीजेपी समेत कई विपक्षी दल मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की बर्खास्तगी की बात कर रहे हैं, तो पलटवार करते हुए अब्दुल्ला बीजेपी को गुजरात दंगों की याद दिलाते हुए ढोंगी बता रहे हैं. इन सबके बीच उमर से बात की आज तक के पुण्य प्रसून वाजपेयी ने. इस बातचीत के दौरान उमर ने कई बार आपा खोया. कई बार वह क्रॉस क्वेश्चन पर भड़कते हुए बोले कि आप जज हैं क्या. आप भी पढ़ें इस बातचीत को और समझें उमर के बयानों के मायने
सवालः अब कैसे हालात हैं जम्मू में?
उमरः फिलहाल न सिर्फ किश्तवाड़ बल्कि जम्मू प्रोविंस में हालात आम तौर पर ठीक हैं. किश्तवाड़ में एक आध जगह पुलिस के साथ तनाव का माहौल बना. जाहिर है कि जहां एफआईआर हुई वहां गिरफ्तारी होनी है. तो जहां पुलिस गई, वहां फोर्स का इस्तेमाल हुआ. लेकिन दोनों कम्युनिटी के बीच जो तनाव का माहौल था, आज वह नहीं है.
सवालः गृह मंत्री कह रहे हैं कि जम्मू के कई इलाकों में जुमे के दिन भारत विरोधी नारे लगते हैं...
उमरः गृह मंत्री ठीक कह रहे हैं. आम तौर पर इन इलाकों में जुमा के रोज और ईद के रोज ऐसे कुछ लोग निकल आते हैं, जो मुल्क के खिलाफ नारे देते हैं. ये नई बात नहीं है. 20-22 साल से ये सिलसिला चलता आया है. इसे आज तक कम्युनल रुख नहीं दिया गया.लेकिन अब ऐसा हुआ है.इसके पीछे कौन जिम्मेदार है. किसकी लापरवाही रही, कोताही रही. इसकी जांच के लिए न्यायिक जांच बिठाई है, सब साफ हो जाएगा.
सवालः क्या आप यह कह रहे हैं कि जम्मू में मुल्क विरोधी नारे नई बात नहीं?
उमरः जी, जम्मू प्रोविंस में ये अकसर होता है. आप यहां के रहने वालों से पूछिए. यहां आठ दस लोग इन इलाकों में कभी कभार निकलकर नारे देते हैं और वापस चले जाते हैं. अफजल गुरु की फांसी के दौरान ये बात हुई. 2010 में या 2008 में कश्मीर में हालत खराब रहे, तब इस तरह की नारेबाजी हुई.
सवालःक्या राज्य का मुख्यमंत्री हमें कई उदाहरण देकर यह बता रहा है कि देश के खिलाफ नारेबाजी कोई नई बात नहीं?
उमरः देखिए आम तौर पर जम्मू में इस तरह के हालात नहीं बनते हैं. यहां दो संप्रदायों में तनाव नहीं होता. कुछ लोगों का बाहर आना और मुल्क के खिलाफ नारे देना नई बात नहीं है. ये होता है.आप बार बार ऐसे एक ही सवाल पूछ रहे हैं, जैसे मेरे ऊपर मुकदमा चला रहे हों.
सवालः आपने इन दंगों पर राज्य सरकार का बचाव करते हुए गुजरात दंगों का जिक्र क्यों किया?
उमरः जो लोग मुझे कश्मीर में सबक सिखाने की कोशिश कर रहे हैं, क्या उन्हें अपना घर नजर नहीं आता. मेरे ख्याल से तो बिल्कुल नहीं आता. मुझे बताइए आप 2002 के बाद किसने इस्तीफा दिया. जो लोग मेरे होम मिनिस्टर के पीछे लगे हुए थे, जिन्होंने जम्मू में तीन दिन से हड़ताल करवा रखी थी. उन्होंने क्या किया था गुजरात दंगों के दौरान.
सवालः क्या इस तरह के सियासी सवालों के लिए ये सही वक्त है?
उमरः क्यों जनाब. आप ही बताइए कब उठाना चाहिए. क्या मैंने ये बात संसद में उठाने की कोशिश की. क्या मैंने ट्विटर के जरिए दुनिया के सामने हालात लाए. हम चुपचाप काम कर रहे थे. सिचुएशन से डील कर रहे थे.यही फ्रंट पर लेकर आए.ट्विटर के जरिए सुषमा स्वराज ने बात की, तब यह हुआ.क्या मैंने जम्मू वालों से कहा कि 70 घंटों तक दुकान बंद रखें.
सवालः आज आप गुजरात दंगों की बात कर रहे हैं. जब दंगे हुए थे, तब आप अटल बिहारी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में मंत्री बने हुए थे, तब कुछ क्यों नहीं कहा?
उमरः ये सवाल आप उस वक्त के वजीर ए आजम अटल बिहारी वाजपेयी साहब से पूछिए. मैं एक मात्र मिनिस्टर हूं, जिसने गुजरात पर आए रेजोल्यूशन पर एब्सटेन किया था. मैंने उस वक्त वाजपेयी को अपना इस्तीफा दिया. उन्हें साफ कहा कि इस मसले पर मैं आपके हक में वोट नहीं दूंगा. मैंने संसद में अपनी आवाज बुलंद की. इसलिए मुझे हक है कि मैं सही कहूंगा.
सवालः आप इस्तीफे की बात कर रहे हैं. फऱवरी 2002 में गुजरात में दंगे हुए. आप जुलाई 2001 से दिसंबर 2002 तक वाजपेयी सरकार में मंत्री रहे...
उमरः जनाब आप मेरा बायोडेटा क्यों पढ़ रहे हो. मुझे पता है अच्छे से कि मैं कब से कब तक मंत्री रहा.हां बिल्कुल मैं सरकार के साथ था, लेकिन रेजॉल्यूशन पर वोट नहीं दिया. लेकिन सरकार के साथ बने रहे क्योंकि मेरा इस्तीफा कबूल नहीं किया. आपको क्या लगता है. यहां लोग बेवकूफ हैं. वो सब जानते हैं कि इस मसले पर कौन लोग क्या करने की कोशिश कर रहे हैं.
सवालः किश्तवाड़ दंगों की आग में झुलस रहा था और सीएम ट्विटर पर जिरह कर रहे थे?
उमरः तो न दूं जवाब लोगों को. आप लोग कहते हैं कि सियासतदानों को लोगों से तालमेल बनाना चाहिए, एक दूसरे से बात करनी चाहिए, हमें एप्रोचेबल होना चाहिए. जब हम होते हैं तो आप कहते हो कि काम नहीं कर रहे. ये मोबाइल का जमाना है, ये सब करने के लिए अलग कमरे में बैठने की जरूरत नहीं पड़ती.