जम्मू कश्मीर के नगरोटा में हुए हमले के दौरान मारे गए आतंकियों के पास से भारत में बने सामान बरामद हुए हैं, जिससे साफ हो गया है कि आतंकवादियों को लोकल सपोर्ट मिल रहा है. लोकल एजेंसियों और इंटेलिजेंस एजेंसियों से आतंकवादियों की मदद करने वालों की तलाश करने के लिए कहा गया है.
नरगोटा इलाका पाकिस्तान बॉर्डर से करीब 30 किलोमीटर दूर है, यानी एक बार में यहां तक सफर करना नामुमकिन है. सूत्रों का कहना है कि आतंकियों ने करीब 6 दिन में हमले की प्लानिंग की थी. आतंकियों ने पुलिस की जो ड्रेस पहनी हुई थी, उन्हें भी बॉर्डर इलाके पर सिलकर तैयार किया गया था.
'अफजल की मौत का बदला था इरादा'
माना जा रहा है ये आतंकी अफजल गुरु की मौत का बदला लेने के इरादे से आए थे. मारे गए दहशतगर्दों के पास से कुछ कागज बरामद हुए हैं, जिनपर उर्दू भाषा में लिखा हुआ है. रिपोर्ट्स के मुताबिक इस कागज पर 'अफजल गुरु के इंतकाम की एक और किश्त' लिखा हुआ है.
एंट्री गेट पर नहीं था सशस्त्र जवान!
इस बीच, नगरोटा हमले को लेकर एक और खुलासा हुआ है. सूत्रों के अनुसार ये खुलासा हुआ है कि नगरोटा आर्मी यूनिट के ऑफिसर्स मेस के एंट्री गेट पर कोई भी सशस्त्र सुरक्षाकर्मी तैनात नहीं था. इस हमले की जांच में लगी एजेंसियों ने साइट का एक स्केच तैयार किया है. इसमें जम्मू-श्रीनगर हाईवे से आर्मी यूनिट तक के संभावित रूट को लेकर जांच पर फोकस किया जा रहा है.
एनआईए को सौंपी जा सकती है जांच
इस बीच, गृह मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक नगरोटा और सांबा में मंगलवार को हुए आतंकी हमलों की जांच एनआईए को सौंपी जा सकती है. इस बारे में अंतिम निर्णय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के क्यूबा से वापस लौटने पर हो सकता है. राजनाथ सिंह क्यूबा के पूर्व राष्ट्रपति फिडेल कास्त्रों के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए क्यूबा गए हुए हैं.