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JNU में बाबरी मस्जिद से जुड़े इवेंट रद्द, लेफ्ट ने कहा- स्वामी कर रहे हैं पब्लिसिटी

वहीं वामपंथी दल ने भी डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी के आरोपों पर जवाब दिया है. आपको बता दें कि डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी ने इवेंट कैंसिल होने के लिए लेफ्ट विंग को जिम्मेदार ठहराया था. वृंदा करात ने इस मुद्दे पर कहा कि सुब्रमण्यम स्वामी सिर्फ अपनी पब्लिसिटी में लगे हुए हैं

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जेएनयू राम मंदिर कार्यक्रम विवाद
जेएनयू राम मंदिर कार्यक्रम विवाद

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अयोध्या में राम मंदिर पर डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी का इवेंट रद्द होने से उत्पन्न हुए विवाद को देखते हुए जेएनयू प्रशासन ने इससे जुड़े सारे कार्यक्रम रद्द कर दिए हैं. जेएनयू डीन ने लेटर जारी करते हुए कहा कि बाबरी मस्जिद और अयोध्या में राम जन्मभूमि से जुड़े सारे कार्यक्रम रद्द किए जाते हैं. डीन के अनुसार कैंपस में सद्भावना और शांति बनाए रखने के लिए यह फैसला लिया गया है.

आपको बता दें कि इससे पहले विवेकानंद वुल्गर मंच के कार्यक्रम ''अयोध्या में राम मंदिर क्यो?' को रद्द किए जाने पर स्टूडेंट्स ने भी प्रदर्शन किया. इस कार्यक्रम में डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी वक्ता थे. कार्यक्रम के आयोजकों ने प्रशासन की सहमति और रद्द किए जाने वाले दोनों लेटर को मीडिया को दिखाया. आयोजकों में से एक प्राची ने बताया कि हम इस मुद्दे पर सिर्फ चर्चा करना चाहते थे और डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी से इस मुद्दे की काफी जानकारी मिल सकती थी. आयोजकों ने कहा कि हमने इस चर्चा के लिए सारी परमिशन ली थी, ले‍किन आख‍िरी समय में इसे रद्द कर दिया गया.

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वहीं वामपंथी दल ने भी डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी के आरोपों पर जवाब दिया है. आपको बता दें कि डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी ने इवेंट कैंसिल होने के लिए लेफ्ट विंग को जिम्मेदार ठहराया था. वृंदा करात ने इस मुद्दे पर कहा कि सुब्रमण्यम स्वामी सिर्फ अपनी पब्लिसिटी में लगे हुए हैं. वाम दल का इससे क्या लेना-देना? जेएनयू में प्रशासन है, वाइस चांसलर हैं, डीन है, वार्डन हैं और वो लोग ये सब तय करते हैं. सुब्रमण्यम स्वामी खुद अपने लोगों को वहां नियुक्त करवाते हैं. विश्वविद्यालय के कैंपस में बिना RSS के सर्टिफिकेट की नियुक्तियां नहीं होती हैं. स्वामी उनसे जाकर क्यों नहीं पूछते?

वृंदा करात ने कहा कि सुब्रमण्यम स्वामी का यह सवाल ही बिल्कुल गलत है. जो उनको मना कर रहे हैं, वह उनके अपने नियुक्त किए लोग हैं. जेएनयू प्रशासन की तरफ से उनको मना किया गया, जो उन्हीं के नियुक्त किए हुए लोग हैं.

वृंदा करात ने यह भी कहा कि सुब्रमण्यम स्वामी का टॉपिक क्या था, जरा यह देखिए. वह किस टॉपिक पर बोलना चाहते थे? क्या वह टॉपिक हिंदुस्तान के संविधान के अंतर्गत था? एक केस जो सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है, सुब्रमण्यन स्वामी जेएनयू में जाकर उस टॉपिक पर चर्चा करना चाहते थे. इसमें ना हमारे टॉलरेंस का सवाल है और ना इंटॉलरेंस का. प्रशासन के कुछ अपने नियम है.

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इससे पहले जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में ''अयोध्या में राम मंदिर क्यो?' इस मुद्दे पर बहस का कार्यक्रम आयोजित किया गया था. इस कार्यक्रम में डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी हिस्सा लेने वाले थे. बाबरी मस्जिद विध्वंस की 25वीं सालगिरह के मौके पर आयोजित इस कार्यक्रम को रद्द कर दिया. यह कार्यक्रम बुधवार रात कोएना हॉस्टल में 9:30 बजे होना था.

आपको बता दें कि इस राइट विंग स्टूडेंट ग्रुप विवेकानंद वुल्गर मंच के कार्यक्रम को रद्द किए जाने को लेकर सुब्रमण्यम स्वामी ने बयान दिया था. सुब्रमण्यन स्वामी ने कहा था कि मैंने जेएनयू में लेक्चर देने के लिए कोई आवेदन नहीं किया था. सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा है कि मेरा लेक्चर क्यों कैंसिल किया गया, उसका जवाब वही लोग दे सकते हैं. हालांकि कार्यक्रम रद्द होने पर नाराजगी जाहिर करते हुए सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा था कि वामपंथी लोग हमें इनटॉलेरेंस का पाठ पढ़ाते थे, अब उनको जवाब देना चाहिए.

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