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JNU प्रशासन में अंदरुनी घमासान, प्रॉक्टर का इस्तीफा

जेएनयू के चीफ प्रॉक्टर कृष्ण कुमार ने 29 फरवरी को अपने पद से इस्तीफा दे दिया.

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जेएनयू कैंपस में 9 फरवरी कथित देश विरोधी नारे मामले को लेकर अब जेएनयू प्रशासन के अंदर मतभेद के मामले सामने आने लगे हैं. जेएनयू के चीफ प्रॉक्टर कृष्ण कुमार ने 29 फरवरी को अपने पद से इस्तीफा दे दिया.

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अनदेखी से थे नाराज
कृष्ण कुमार 9 फरवरी को जो कुछ भी जेएनयू कैंपस में हुआ था उसे जिसे तरह से जेएनयू प्रशासन ने हैंडल किया था, उससे वे नाराज थे. साथ ही इस मामले में अपनी अनदेखी से भी वो नाराज थे.

इस्तीफे की असली वजह
खबरों के मुताबिक जेएनयू में 9 फरवरी को देश विरोधी नारे मामले की जांच के लिए 11 फरवरी को जेएनयू प्रशासन ने एक कमेटी गठित की थी, इस जांच कमेटी की अगुवाई कृष्ण कुमार कर रहे थे. लेकिन इसके कुछ ही घंटे बाद प्रशासन की ओर से एक और उच्च स्तरीय समिति का बना दिया गया. और इस समिति ने पहले गठित समिति का स्थान ले लिया.

छात्रों को सस्पेंड करने के लिए कराए हस्ताक्षर
कृष्ण कुमार से आठ स्टूडेंट्स कन्हैया कुमार , अनिर्बान भट्टाचार्य, श्वेता राज, उमर खालिद, अनंत प्रकाश, रामा नागा, ऐश्वर्या अधिकारी और आशुतोष कुमार को सस्पेंड करने के लिए पत्र पर हस्ताक्षर कराए गए थे. इससे आहत कृष्ण कुमार ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और कहा कि इस मामले में उनका गलत इस्तेमाल हुआ.

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प्रॉक्टर की भूमिका
कृष्ण कुमार के पद से त्यागपत्र देने के बाद उनकी जगह पर्यावरण विज्ञान के ए पी डिमरी को नियुक्त किया गया. डिमरी ने एक 1 मार्च से पद भी संभाल लिया. यूनिवर्सिटी नियम के मुताबिक प्रॉक्टर की भूमिका छात्रों-शिक्षकों और यूनिवर्सिटी प्रशासन के बीच तालमेल बनाने के लिए होता है.

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