राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) को 'देश विरोधी ताकतों का घर' करार दिया है. आरएसएस ने कहा कि उच्चशिक्षा और रिसर्च के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान देने वाले संस्थान में खुद नेहरू और बाद में इंदिरा गांधी ने समाजिक और आर्थिक एजेंडे को आगे बढ़ाया था.
अपने मुखपत्र 'पांचजन्य' में आरएसएस ने लिखा है कि जेएनयू में एक बड़ा एंटी नेशनल तबका तैयार हो चुका है तो देश को तोड़ने में लगा है. साथ ही जेएनयू के छात्र संघों को नक्सल समर्थक छात्रसंघ करार देते हुए कहा कि 2010 में दांतेवाड़ा में सीआरपीएफ के 75 जवानों की हत्या पर जेएनयू में खुलेआम जश्न मनाया गया था. पांचजन्य में यह लेख- 'देश विरोधी गतिविधियां आयोजित कर रहा है जेएनयू' शीर्षक के साथ प्रकाशित हुआ है.
'भारतीय संस्कृति को गलत ढंग से करना आम'
आरएसएस ने लिखा है कि 75 जवानों की हत्या पर जेएनयू में खुलेआम जश्न मनाया गया, जो कि कानून का उल्लंघन है. यह सब कुछ जेएनयू प्रशासन की नाक के नीचे हुआ. मुखपत्र में छपे दूसरे लेख में कहा गया है- 'जेएनयू ऐसी जगह है जहां राष्ट्रवाद को अपराध माना जाता है. भारतीय संस्कृति को गलत ढंग से पेश करना यहां आम है. यहां कश्मीर से सेना हटाने का खुलेआम समर्थन होता है. ये लोग अन्य कई देश विरोधी गतिविधियों का भी समर्थन करते हैं.'
'सरकार के पैसों से माओवाद को बढ़ावा'
लेखक ने दावा किया है कि उन्होंने कई बार जेएनयू के प्रोफेसर्स को कई आयोजनों में राष्ट्रीय एकता और संस्कृति को खोखला करने की साजिश रचते हुए सुना है. उन्होंने कहा कि इसी वक्त उन्हें अहसास हुआ कि जेएनयू में एक बड़ा वर्ग है जो राष्ट्र विरोधी गतिविधियों को अंजाम दे रहा है. उन्होंने कहा कि जेएनयू सरकार से सिर्फ पैसा लेती है और उसके दम पर माओवाद को बढ़ावा दिया जा रहा है. लेख में कहा गया है कि यह सारी गतिविधियां देश को बांटने के लिए हो रही हैं.