जेएनयू में देशद्रोह विवाद के मसले पर यूनिवर्सिटी प्रबंधन ने सोमवार को मानव संसाधन विकास मंत्रालय को स्टेटस रिपोर्ट सौंपी है. इसमें 9 फरवरी की घटना की सिलसिलेवार जानकारी दी गई है और कहा गया है कि छात्रों ने बिना इजाजत विवादित आयोजन किया था. रिपोर्ट में चार छात्रों उमर खालिद, कोमल, अनिर्बाण और अवस्थी का जिक्र भी किया गया है.
यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि इन छात्रों ने कविताओं से जुड़े एक कार्यक्रम के लिए इजाजत मांगी थी. लेकिन इजाजत रद्द हो जाने के बाद उसकी जगह अफजल गुरु को लेकर नारेबाजी संबंधी आयोजन कर लिया. मंत्रालय ने नौ फरवरी की घटना के बारे में रिपोर्ट मांगी थी.
इजाजत के बाद आरोपी छात्रों का घालमेल
जेएनयू के रजिस्ट्रार भूपेंद्र जुत्सी ने कहा कि घटना के बारे में मंत्रालय ने यूनिवर्सिटी से जांच का स्टेटस रिपोर्ट मांगा था. हमने सोमवार को इस बाबत जवाब भेज दिया. उन्होंने कहा, 'यूनिवर्सिटी प्रशासन से छात्रों ने ‘पोएट्री-रिडींग-द कंट्री विदाउट पोस्ट आफिस’ नाम के कार्यक्रम के लिए ली इजाजत मांगी थी.' जुत्सी ने कहा कि कार्यक्रम के दिन प्रशासन के संज्ञान में आया कि छात्रों ने कार्यक्रम के पोस्टर का शीर्षक ‘ब्राह्मणवादी सामूहिक अंतरात्मा के खिलाफ, अफजल गुरु और मकबूल भट्ट की न्यायिक हत्या के खिलाफ तथा कश्मीरियों का उनके आत्मनिर्णय के लोकतांत्रिक अधिकार के लिए संघर्ष के प्रति एकजुटता प्रकट करना’ कर दिया है.' रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रशासन की ओर से इजाजत वापस लेने के बाद भी छात्रों ने आयोजन किया और इसी दौरान कथित तौर पर कुछ आपत्तिजनक नारे लगाए गए.
रिपोर्ट के खास अंश -
1. चारों छात्रों ने साबरमती ढाबा पर नौ फरवरी 2016 को शाम पांच बजे कार्यक्रम के लिए इजाजत ली थी.
2. नौ फरवरी के दोपहर तीन बजे नोटिस बोर्ड पर इन सबने कार्यक्रम का नाम बदल दिया. इसे देखकर वीसी, रजिस्ट्रार, चीफ सिक्योरिटी ऑफिसर, डीन और चीफ प्रॉक्टर की बैठक हुई.
3. बैठक के बाद डीन ऑफ स्टूडेंट्स ने सीएसओ के जरिए कार्यक्रम की इजाजत वापस लेने की जानकारी दी.
4. सिक्योरिटी ऑफिसर के बताए जाने और इस कार्यक्रम के लिए दोबारा इजाजत नहीं दिए जाने की बात कहने के बावजूद आरोपी छात्रों ने आयोजन किया.
5. कार्यक्रम में देशविरोधी नारे लगाए गए. यूनिवर्सिटी प्रबंधन की इजाजत के बगैर कवरेज के लिए मीडियाकर्मी बुलाए गए.
6. नौ फरवरी की घटना पर यूनिवर्सिटी ने 10 फरवरी को तीन सीनियर फैकल्टी की एक उच्च स्तरीय जांच समिति बनाई है. समिति 25 फरवरी तक अपनी रिपोर्ट सौंप देगी.
7. 11 फरवरी को साउथ दिल्ली के डिप्टी पुलिस कमिश्नर ने जेएनयू के सिक्योरिटी अफसरों से बात की. बाद में उन्होंने एक पत्र भेजकर बताया कि नौ फरवरी को जेएनयू में देश विरोधी नारे लगाए गए हैं.
8. पुलिस ने संस्थान के अंदर आने और जरूरी कदम उठाने की इजाजत मांगी. गंभीर आरोपों को देखते हुए यूनिवर्सिटी ने उन्हें जांच की इजाजत दी.
9. वीसी ने 11 फरवरी को सभी डीन और स्पेशल सेंटर्स के प्रमुखों को हालत पर नियंत्रण की जानकारी दी.
10. बारह फरवरी को प्रो. राकेश भटनागर, प्रो. हिमाद्री बोहीदार और प्रो. सुमन कुमार धर की समिति ने प्राथमिक रिपोर्ट सौंपी. समिति ने सामने आए आठ आरोपी छात्रों को जांच तक शक्षणिक गतिविधियों से सस्पेंड करने और हॉस्टल में गेस्ट की तरह रखे जाने की सिफारिश की.
11. पुलिस ने यूनिवर्सिटी को भरोसा दिलाया था कि बहुत जरूरी होने पर ही वह कैंपस में आएगी. इसके लिए वह पहले चांसलर डॉ. के कस्तूरीरंगन को बताएगी. पुलिस ने ऐसा ही किया और 13 फरवरी को कैंपस में आई. पुलिस ने वीसी, फैकल्टी मेंबर्स, सीनियर अफसरों सहित तमाम कर्मचारियों से मुलाकात की.