देश के प्रतिष्ठित जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में होने वाले छात्रसंघ चुनाव को लेकर तैयारियां अपने अंतिम दौर में हैं. जेएनयू में शुक्रवार को वोट डाले जाएंगे. वहीं इसके नतीजे 16 सितंबर की शाम तक घोषित होंगे. मतदान से पहले जेएनयू कैंपस में प्रेजिडेंशियल डिबेट होता है. इस डिबेट में अध्यक्ष पद के सभी उम्मीदवार हिस्सा लेते हैं. इस बार के चुनाव के लिए यह डिबेट 12 सितंबर की रात शुरू हुई. इस बार के चुनाव में अध्यक्ष पद के लिए 8 उम्मीदवार मैदान में हैं. सभी उम्मीदवारों ने अपनी बात छात्र-छात्राओं के सामने रखी.
आपको बता दें कि यूनाइटेड लेफ्ट(आईसा, डीएसएफ, एसएफआई और एआईएसएफ) की तरफ़ से अध्यक्ष पद के लिए दावेदार एन साई बाला हैं. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) की ओर से उम्मीदवार ललित पांडे हैं, तो वहीं बिरसा मुंडे फुले आंबेडकर स्टूडेंट्स यूनियन (बापसा) की ओर से थालापल्ली प्रवीण मैदान में हैं.
'सवर्ण छात्र मोर्चे' से निधि त्रिपाठी तीन उम्मीदवार ऐसे भी हैं जिन्हें किसी पार्टी का साथ नहीं मिला है और वो निर्दलीय मैदान में हैं. सभी आठ उम्मेदवारों को अपनी बात रखने के लिए 12 मिनट का समय दिया गया. इस दौरान थोड़ी-बहुत बहस भी हुई. इस बार के चुनाव में लालू यादव की पार्टी राजद भी पहली बार अपना उम्मीदवार उतारी है. छात्र राजद की तरफ से जयंत जिज्ञासु अध्यक्ष पद के लिए मैदान में हैं.
पार्टी के उम्मीदवार जयंत जिज्ञासु ने अपने भाषण में केंद्र की मोदी सरकार पर जमकर बोला. उन्होंने कहा कि देश की सरकार को समझना होगा कि हमें सस्ते डाटा की उतनी ज़रूरत नहीं है जितनी सस्ते आटा की है.
चुनाव कौन जीतेगा यह तो 16 सितंबर को ही मालूम पड़ेगा, लेकिन जिस तरह से छात्र राजद उम्मीदवार ने अपनी बात रखी उससे एक बात तो साफ है कि इस बार के चुनाव में कड़ा मुकाबला देखने को मिलेगा.
आईसा की ओर से एन साई बालाजी ने भी मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि ये जुमला और हमला की सरकार है. हिंदुस्तान को लिंचिस्तान बनाया जा रहा है. उन्होंने कठुआ रेप और उन्नाव केस पर भी सरकार को घेरा और कहा कि कठुआ और उन्नाव में बलात्कारियों को बचाया गया. कालाधन पर सर्जिकल स्ट्राइक मजदूरों के खिलाफ था.वहीं एनएसयूआई उम्मीदवार विकास यादव ने भी सरकार पर जमकर बोला. विकास ने कहा कि 56 इंच का सीना दिखाकर नोटबंदी में पैसे खींच लिए गए. जल्दी में नोटबंदी लागू किया गया.
प्रेजिडेंशियल डिबेट JNU के कल्चर का खास हिस्सा
जेएनयू की प्रेजिडेंशियल डिबेट उसके कल्चर का खास हिस्सा है. छात्र यहां आते हैं, सवाल करते हैं. पूरी तैयारी से उम्मीदवार अपनी बात कहते हैं और पूरी तमीज से दर्शक आलोचना भी करते हैं, फिर चाहे ढपली बजाकर, नारे लगाकर हूटिंग ही क्यों ना हो.