अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी की प्रधानंमत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात खत्म हो गई है. 7, रेस कोर्स रोड स्थित पीएम आवास में दोनों नेताओं की मीटिंग हुई. सूत्रों के मुताबिक मोदी-केरी की मुलाकात में द्विपक्षीय व्यापार के अलावा रक्षा सौदा बढ़ाने पर चर्चा हुई. दोनों नेताओं के बीच आतंकवाद की समस्या और अफगानिस्तान के मौजूदा हालात पर भी चर्चा हुई. मीटिंग के दौरान परमाणु ऊर्जा सहयोग पर भी बातचीत हुई. इस दौरान मोदी के अमेरिका जाने के प्लान पर भी चर्चा हुई.
अमेरिका से रवानगी के वक्त से ही उन पर मोदी का रंग चढ़ा हुआ है. दिल्ली में भी उन्होंने मोदी के नारे 'सबका साथ, सबका विकास दोहराया'. इस तरह एक अरसे बाद अमेरिका बैकफुट पर दिखा है. जासूसी पर भारत ने खरी-खरी सुनाई और अमेरिका को कुछ कहते नहीं बना. यहां तक की ओबामा सरकार ने मोदी वीजा विवाद का ठीकरा भी पिछली सरकार पर फोड़ दिया.
मोदी से मुलाकात से पहले केरी ने वीजा विवाद से भी पल्ला झाड़ लिया. केरी ने कहा कि पिछली सरकार ने मोदी के वीजा पर रोक लगाई थी, उनकी सरकार तो मोदी को वीजा देने जा रही है. 2002 के गुजरात दंगों की वजह से अमेरिका मोदी को वीजा देने से इनकार करता रहा है.
जासूसी पर अमेरिका को सुषमा ने सुनाई दो टूक
इससे पहले, गुरुवार को साझा प्रेस कॉन्फ्रेस के दौरान जब भारतीय नेताओं पर जासूसी का सवाल उठा तो विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने बेझिझक बताया कि ये मुद्दा भी उठा और अमेरिका को खरी-खरी सुना दी गई. अचानक उठे इस सवाल पर अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी बैकफुट पर आ गए.
गौरतलब है कि विसिलब्लोअर एडवर्ड स्नोडेन ने ये खुलासा कर सनसनी फैला दी थी कि अमेरिकी सरकार ने खुफिया एजेंसी को बीजेपी नेताओं की जासूसी के लिए हरी झंडी दे दी है. ये मामला 2010 का है.