भारत के शराब कारोबारी विजय माल्या को भले ही केंद्र सरकार ने भगोड़ा घोषित कर दिया हो लेकिन सरकार के मंत्री लोगों को उनसे प्रेरित होने की सलाह दे रहे हैं.
दरअसल, मोदी सरकार में जनजातीय मामलों के मंत्री जुएल उरांव हैदराबाद के एक कार्यक्रम में आदिवासियों को एंटरप्रन्योरशिप के लिए प्रोत्साहित कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने भारतीय बैंकों के हजारों करोड़ रुपये लेकर भागे शराब कारोबारी विजय माल्या का उदाहरण दिया. हालांकि बाद में उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि मैंने गलती से विजय माल्या का नाम ले लिया. मुझे माल्या का नाम नहीं लेना चाहिए था. यह मेरी गलती थी.
I accidentally took Vijay Mallya's name. I should have taken someone else's name. I should not have taken his name, it was my mistake: Union Minister Jual Oram on him reportedly describing Vijay Mallya as 'smart' in an event in Hyderabad yesterday pic.twitter.com/A6LLlNZicE
— ANI (@ANI) July 14, 2018
क्या कहा था मंत्री ने
जुएल उरांव ने कार्यक्रम में कहा, 'आप विजय माल्या को गाली देते हैं. लेकिन कौन है विजय माल्या? वह एक स्मार्ट व्यक्ति है. उसने कुछ बुद्धिमान लोगों को काम पर रखा और फिर बैंकों, राजनीतिज्ञों, सरकार... को अपने प्रभाव में लिया. स्मार्ट बनने से आपको कौन रोकता है? आदिवासियों से किसने कहा है कि सिस्टम पर अपना प्रभाव मत दिखाओ. आपको किसने रोका है कि आप बैंकों को प्रभावित मत करो.'
उरांव ने आदिवासियों को सलाह देते हुए कहा, ' हमें स्मार्ट बनना चाहिए. हमें जानकारियां प्राप्त करनी चाहिए. जानकारी ही ताकत है. जिसके पास सही जानकारी है, उसी के पास ताकत है.'
इस दौरान उन्होंने आदिवासियों को बताया कि अगर आदिवासी होने का कुछ नुकसान है, तो इसके कुछ फायदे भी हैं. जैसे आदिवासियों के लिए शिक्षण संस्थानों और सरकारी नौकरियों में आरक्षण की सुविधा है. वे इसका लाभ उठा कर अपने जीवन को बेहतर बना सकते हैं.
उरांव के मुताबिक, आदिवासी होने का नुकसान यह है कि अगर कोई आदिवासी अपने जीवन में सफल भी होता है, तो उसे वह पहचान नहीं मिलती, जिसका वह हकदार है. उनकी कामयाबी को भी लोग आरक्षण से जोड़कर देखते हैं और इस नजरिए के कारण उनके साथ अलग व्यवहार करते हैं. इस वजह से आदिवासी खुद के साथ भेदभाव महसूस करते हैं .उरांव ने कहा कि इस कारण कई आदिवासी अपना सरनेम भी छिपाने लगे हैं.