सुप्रीम कोर्ट के जजों के बीच मचे तूफान का आधार रहे सीबीआई के स्पेशल जज बृजगोपाल लोया की मौत का मामला मंगलवार तक टल गया है. वही बेंच इस मामले को सुनेगी जिसने पिछले हफ्ते सुनवाई की थी और इसके बाद विवाद को तूल मिला था.
शुक्रवार को चार जजों की प्रेस कांफ्रेंस के बाद ये मामला एक बार सुर्खियों में आया था. प्रेस कांफ्रेंस में जजों ने सवालों के जवाब देते हुए जज लोया की मौत का मामला भी उठाया था. जजों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में केस जस्टिस अरुण मिश्रा की बेंच को दिए जाने पर सवाल भी उठाए थे. फिलहाल सुप्रीम कोर्ट की मुकदमों की सूची में ये मामला मंगलवार को लिस्टेड है, लेकिन ये तय है कि जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस शांतनगौडार की बेंच ही इस मामले की सुनवाई करेगी.
इस बीच जज लोया के बेटे अनुज लोया ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस मामले में उठाये गये सवालों को ही बेबुनियाद बता दिया. अनुज ने कहा कि फिर से जांच की कोई जरूरत नहीं है लेकिन जज लोया के भाई ने इस कांड के पीछे साजिश की आशंका जताई है. इस मुद्दे को लेकर राजनीति पहले ही शुरू हो चुकी है.
बीजेपी प्रवक्ता और वरिष्ठ वकील नलिन कोहली ने कहा कि इस मामले में अदालत को फैसला करने देना चाहिए, राजनीति क्यों की जा रही है. साथ ही उन्होंने जजों की प्रेस कॉन्फ्रेंस के पीछे किसी साजिश के संकेत भी दिए हैं, उन्होंने कहा कि इसके पीछे कौन है इसका भी खुलासा होना चाहिए. नलिन ने कहा कि किसी की मौत को राजनीतिक मुद्दा बनाने की वजह समझ नहीं आती.
सोमवार को इस मामले की सुनवाई जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस एमएन शांतनगौडार की अदालत में होनी थी. लेकिन जस्टिस शांतागौडार निजी कारणों से छुट्टी पर थे, लिहाजा सुनवाई टल गई. लेकिन अब चूंकि संवैधानिक पीठ को आधार सहित कई मामलों की एक के बाद एक सुनवाई करनी है और इसमें जस्टिस अरुण मिश्रा भी शामिल हैं.
इस मामले में चीफ जस्टिस ने रोस्टर तय करने के अधिकार के तहत तहसीन पूनावाला की ओर से दाखिल याचिका को जस्टिस अरुण मिश्रा की बेंच के पास सुनवाई के लिए भेजा था. इस बेंच ने याचिका में उठाये गये मुद्दों को गंभीर बताते हुए अगली सुनवाई पर महाराष्ट्र सरकार के स्टैंडिंग काउंसिल को हाजिर होने को कहा था.
दरअसल सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले में सीबीआई के स्पेशल जज बीडी लोया सुनवाई कर रहे थे. एक समारोह में अचानक उनकी तबीयत बिगड़ी और अस्पताल ले जाने के बाद उनका निधन हो गया. मौत की वजह और पोस्टमार्टम रिपोर्ट जैसे कई मसलों को लेकर सवाल उठाये जाते रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान भी बॉम्बे लॉयर्स एसोसिएशन के प्रतिनिधि सीनियर एडवोकेट दुष्यंत दवे ने भी दलील दी कि चूंकि इस मामले की सुनवाई बांबे हाईकोर्ट में चल रही है लिहाजा सुप्रीम कोर्ट इसकी सुनवाई ना करे.
बेंच ने दवे से उल्टा सवाल किया कि जब याचिका में इतने गंभीर सवाल उठाये गये हैं तो सुप्रीम कोर्ट सुनवाई क्यों ना करे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो इनकी आपत्तियों पर भी विचार करेंगे लेकिन सुनवाई के दौरान. यानी वरिष्ठता क्रम में सबसे सीनियर चार जजों के इस मामले पर सार्वजनिक रूप से आपत्ति जताने के बावजूद सिक्का तो चीफ जस्टिस के नाम का ही चलेगा. यानी बेंच में बदलाव होने के आसार फिलहाल तो नहीं दिख रहे.