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ईद मिलन में नहीं आएंगे हुर्रियत नेता गिलानी

पाकिस्तान को आश्चर्यजनक रूप से झटका देते हुए हुर्रियत कांफ्रेंस के कट्टरपंथी धड़े के नेता सैयद अली शाह गिलानी ने 21 जुलाई को दिल्ली में पाकिस्तानी उच्चायुक्त अब्दुल बासित द्वारा आयोजित ईद मिलन समारोह का 'बहिष्कार' करने का फैसला किया.

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अब्दुल बासित
अब्दुल बासित

पाकिस्तान को आश्चर्यजनक रूप से झटका देते हुए हुर्रियत कांफ्रेंस के कट्टरपंथी धड़े के नेता सैयद अली शाह गिलानी ने 21 जुलाई को दिल्ली में पाकिस्तानी उच्चायुक्त अब्दुल बासित द्वारा आयोजित ईद मिलन समारोह का 'बहिष्कार' करने का फैसला किया. यह पहला मौका है जब गिलानी ने इस तरह का निमंत्रण ठुकराया है.

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गिलानी ने पिछले सप्ताह रूस के उफा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके पाकिस्तानी समकक्ष नवाज शरीफ के बीच बातचीत में कश्मीर मुद्दा शामिल नहीं किये जाने के विरोध में इस कार्यक्रम का बहिष्कार करने का फैसला किया.

हुर्रियत के एक प्रवक्ता ने यहां एक बयान में कहा, 'हुर्रियत ने नई दिल्ली में पाकिस्तान उच्चायोग के ईद मिलन समारोह में भाग नहीं लेने का फैसला किया है. नरेंद्र मोदी और नवाज शरीफ के बीच हालिया बैठक में कश्मीर के मुद्दे को शामिल नहीं करना दुर्भाग्यपूर्ण है और इसलिए हुर्रियत विरोधस्वरूप इस समारोह का बहिष्कार करेगा.' उन्होंने कहा कि न तो गिलानी और ना ही हुर्रियत का कोई प्रतिनिधि समारोह में शामिल होगा.

उन्होंने कहा कि नई दिल्ली में पाकिस्तानी उपायुक्त ने गिलानी को फोन करके उन्हें आमंत्रित किया था और उन्हें जानकारी दी थी कि एक औपचारिक निमंत्रण भेजा जा रहा है. प्रवक्ता ने कहा कि हालांकि गिलानी ने उनसे कहा कि बैठक के बाद समारोह में शामिल होने के बारे में फैसला किया जाएगा. हुर्रियत की आज हुई बैठक में कार्यक्रम का बहिष्कार करने का फैसला किया गया.

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यह पहली बार है जब पाकिस्तान समर्थित कट्टरपंथी नेता गिलानी ने पाकिस्तानी उच्चायोग के निमंत्रण को ठुकराया है. प्रवक्ता ने कहा कि कश्मीर 1.3 करोड़ लोगों का मुद्दा है. उन्हें हल्के में नहीं लिया जा सकता और ना ही नजरअंदाज किया जा सकता है.

हुर्रियत के प्रवक्ता ने कहा कि जहां तक पाकिस्तान के साथ संबंधों का सवाल है, दिल्ली में 'कट्टरपंथी सरकार' के गठन के बाद से भारत सरकार कश्मीर को एकतरफ करके अपना एजेंडा आगे बढाने का प्रयास कर रही है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्रियों के बीच हालिया उच्चस्तरीय बैठक में कश्मीर मुद्दे को शामिल नहीं करना दिखाता है कि पाकिस्तान ने भारत का दबाव स्वीकार किया और कश्मीरियों के बलिदान पर मोदी के तुष्टीकरण को तरजीह दी है जो बहुत दुखदायी है.

शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर वार्ता के इतर, 10 जुलाई को उफा में मोदी और शरीफ के बीच एक घंटे की मुलाकात आतंकवाद के मुद्दे पर ही केन्द्रित थी और वे मुंबई हमला मामले की सुनवाई तेज करने पर सहमत हुए. वार्ता के बाद जारी संयुक्त बयान में कश्मीर का कोई जिक्र नहीं था. हालांकि पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सरताज अजीज ने इस्लामाबाद में कहा कि एजेंडे में जब तक कश्मीर मुद्दे को शामिल नहीं किया जाता, भारत के साथ कोई वार्ता नहीं हो सकती.

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इनपुट: भाषा

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