सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को आदेश दिया कि वह विशेष सीबीआई न्यायाधीश बी एच लोया की मौत संबंधी सभी दस्तावेज उन याचिकाकर्ताओं को मुहैया कराए जो उनकी मौत से जुड़ी परिस्थितियों की स्वतंत्र जांच की मांग कर रहे हैं.
महाराष्ट्र सरकार ने लोया की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट समेत मौत से संबंधित दस्तावेजों को सीलबंद लिफाफे में आज न्यायालय में पेश किया था. इसके बाद जस्टिस अरूण मिश्रा और जस्टिस एम एम शांतनगौडार की पीठ ने यह आदेश दिया.
साथ ही पीठ ने लोया की मौत की स्वतंत्र जांच की मांग करने वाली दो जनहित याचिकाओं की सुनवाई एक सप्ताह के लिए स्थगित कर दी.
महाराष्ट्र सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने पीठ से कहा कि इन दस्तावेज में कुछ गोपनीय सामग्री भी है जिसे जनता के साथ साझा नहीं की जा सकती है और उन्हें याचिकाकर्ताओं के साथ साझा नहीं किया जा सकता है. इस पर पीठ ने कहा, 'यह ऐसा मामला है जिसमे उन्हें (याचिकाकर्ताओं) को सब कुछ पता होना चाहिए.'
इस बेंच में शामिल जस्टिस अरुण मिश्रा को लेकर भी सवाल उठे हैं. उन पर सुप्रीम कोर्ट के एक वकील ने गंभीर इल्जाम लगाए हैं.
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने हाल में एक सनसनीखेज दावा किया है. उन्होंने कहा है कि सीबीआई के विशेष जज रहे लोया की मौत के मामले की सुनवाई करने वाले जस्टिस अरुण मिश्रा के बीजेपी और सीनियर नेताओं से करीबी संबंध हैं. उन्होंने साफ कहा है कि जस्टिस मिश्रा को इस केस की सुनवाई नहीं करनी चाहिए.
इस मामले में चीफ जस्टिस ने रोस्टर तय करने के अधिकार के तहत तहसीन पूनावाला की ओर से दाखिल याचिका को जस्टिस अरुण मिश्रा की बेंच के पास सुनवाई के लिए भेजा था. इस बेंच ने याचिका में उठाये गये मुद्दों को गंभीर बताते हुए अगली सुनवाई पर महाराष्ट्र सरकार के स्टैंडिंग काउंसिल को हाजिर होने को कहा था.
जज लोया की मौत पर लंबे समय से सवाल उठ रहे थे. शुक्रवार को चार जजों ने जो प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी, उसमें जजों के रोस्टर तय करने पर भी सवाल उठाए गए थे और जस्टिस लोया केस का जिक्र भी किया गया था. जिसके बाद वकील दुष्यंत दवे ने हैरान करने वाला इल्जाम लगाया.
हालांकि, विवाद के बाद सोमवार को जब पहली बार चीफ जस्टिस और बाकी जजों का सुप्रीम कोर्ट में राब्ता हुआ तो अरुण मिश्रा के रोने की बात सामने आई. कहा जा रहा है कि जस्टिस अरुण मिश्रा यह कहते हुए रो पड़े कि चारों न्यायाधीशों ने उनकी 'क्षमता' और 'ईमानदारी' पर सवाल उठाकर उन्हें 'अनुचित रूप से' निशाना बनाया है. जस्टिस मिश्रा ने कहा कि चारों जजों ने हालांकि उनका नाम नहीं लिया, लेकिन जिन केसों का हवाला दिया गया, उससे यही निष्कर्ष निकलता है.
दरअसल, सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले में सीबीआई के स्पेशल जज बीडी लोया सुनवाई कर रहे थे. दिसंबर 2014 में नागपुर में एक समारोह में अचानक उनकी तबीयत बिगड़ी और अस्पताल ले जाने के बाद उनका निधन हो गया. मौत की वजह और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट जैसे कई मसलों को लेकर सवाल उठाये जाते रहे है.
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान भी बॉम्बे लॉयर्स एसोसिएशन के प्रतिनिधि सीनियर एडवोकेट दुष्यंत दवे ने भी दलील दी कि चूंकि इस मामले की सुनवाई बॉम्बे हाई कोर्ट में चल रही है, लिहाजा सुप्रीम कोर्ट इसकी सुनवाई ना करे. हालांकि, बेंच ने दवे से उलटा सवाल किया कि जब याचिका में इतने गंभीर सवाल उठाये गये हैं तो सुप्रीम कोर्ट सुनवाई क्यों ना करे.