नये साल के आते ही देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट का भी नया कोलेजियम आया है. इस कोलेजियम में जस्टिस अरुण मिश्रा को भी जगह दी गई है. बता दें कि जस्टिस मदन बी लोकुर हाल ही में रिटायर हुए हैं इसलिए कोलेजियम में नए सदस्य के तौर पर जस्टिस मिश्रा की एंट्री हुई है. यानी अब 12 जनवरी, 2018 को प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाले सुप्रीम कोर्ट के चार जजों में से सिर्फ अब चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ही कोलेजियम का हिस्सा हैं.
मौजूदा कोलेजियम में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस एस. ए. बोबड़े, जस्टिस एनवी रमणा और जस्टिस अरुण मिश्रा शामिल हैं.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में जिस समय विवाद चल रहा था उस दौरान रिटायर्ड चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने बहुचर्चित जज लोया की मौत मामले की सुनवाई का जिम्मा जस्टिस अरुण मिश्रा को ही सौंपा था.
कौन हैं जस्टिस अरुण मिश्रा?
आपको बता दें कि जस्टिस अरुण मिश्रा, मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के जज रहे जस्टिस एचजी मिश्रा के बेटे हैं. उन्होंने BSC, MA और LLB किया है. जस्टिस मिश्रा बार काउंसिल ऑफ इंडिया के सबसे युवा चेयरमैन रह चुके हैं.
12 जनवरी को प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाले जजों में जस्टिस कुरियन जोसेफ, जस्टिस चेलमेश्वर, जस्टिस लोकुर और जस्टिस रंजन गोगोई (मौजूदा चीफ जस्टिस) शामिल रहे थे. इनमें से जस्टिस गोगोई को छोड़ अन्य जज रिटायर हो चुके हैं.
क्या है कोलेजियम?
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने को लेकर बहस होती है. इसके तहत 5 लोगों का एक समूह जजों की नियुक्ति करता है. इन 5 लोगों में भारत के चीफ जस्टिस और Supreme Court के 4 वरिष्ठ जज शामिल होते हैं. कोलेजियम सिस्टम में CJI और SC के 4 वरिष्ठ जजों का एक फोरम जजों की नियुक्ति और तबादले की सिफारिश करता है. कॉलेजियम की सिफारिश मानना सरकार के लिए जरूरी होता है.