देश में बढ़ती असहिष्णुता को लेकर महीने भर से चली आ रही लंबी बहस अब संसद तक पहुंच गई है. लेकिन सदन में इस ओर चर्चा के बीच सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने बीजेपी पर करारा वार किया है. उन्होंने फेसबुक पर दो टूक लिखा है कि बीजेपी कभी भी सहिष्णु नहीं हो सकती, क्योंकि ऐसा हुआ तो वह चुनाव नहीं जीत सकेगी.
काटजू ने फेसबुक पर लिखा है कि प्रधानमंत्री या दूसरे बीजेपी नेता 'सबका साथ, सबका विकास' को लेकर चाहते जितनी भी बातें कर लें, लेकिन सच्चाई यही है कि बीजेपी कभी सहिष्णु नहीं हो सकती. प्रेस काउंसिल के पूर्व अध्यक्ष ने लिखा है कि बीजेपी के लिए सहिष्णु होने का मतलब खुदकुशी कर लेना है. अपनी टिप्पणी को तर्कसंगत बनाते हुए उन्होंने इसके पीछे पार्टी के वोट बैंक को कारण बताया है.
...क्योंकि चुनाव भी तो जीतना है
जस्टिस काटजू ने लिखा है, 'कारण यह है कि सवर्ण हिंदू बीजेपी के लिए वोट बैंक है. यानी ब्राह्मण, राजपूत, बनिया, भूमिहार आदि. इन सभी की जनसंख्या बिहार और यूपी आदि में कुल मिलाकर 16-17 फीसदी है, जबकि चुनाव जीतने के लिए 31-32 फीसदी वोट की जरूरत होती है. ऐसे में चुनाव जीतने के लिए बीजेपी को सांप्रदायिक घृणा और असहिष्णुता को हवा देना जरूरी है ताकि वह ओबीसी और एससी जातियों का वोट पा सके.'
बाबरी मस्जिद और रथ यात्रा
मार्कंडेय काटजू ने 1984 और 1999 लोकसभा चुनाव में बीजेपी के प्रदर्शन का हवाला देते हुए लिखा है कि पार्टी ने 1984 में 2 सीटें जीती थीं, जबकि 1999 में उसने 183 सीटें जीत लीं. इसमें आडवाणी की रथ यात्रा और बाबरी मस्जिद एक बड़ा कारण रहा.
पढ़े, जस्टिस काटजू का पूरा पोस्ट-
Why BJP can never be tolerantThe Prime Minister and some other BJP leaders may talk a lot of ' Sab ka saath, sabka...
Posted by Markandey Katju on Sunday, November 29, 2015