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पूर्व न्‍यायाधीश स्वतंत्र कुमार ने अखबार और दो चैनलों को कानूनी नोटिस भेजा

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार ने कानून की एक इंटर्न द्वारा अपने खिलाफ लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों को झूठा बताते हुए इनके बारे में खबरें दिखाने के लिए कुछ मीडिया संस्थानों को कानूनी नोटिस भेजकर उनसे 24 घंटे के भीतर माफी मांगने को कहा है.

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सुप्रीम कोर्ट
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सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार ने कानून की एक इंटर्न द्वारा अपने खिलाफ लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों को झूठा बताते हुए इनके बारे में खबरें दिखाने के लिए कुछ मीडिया संस्थानों को कानूनी नोटिस भेजकर उनसे 24 घंटे के भीतर माफी मांगने को कहा है.

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राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के मौजूदा अध्यक्ष न्यायमूर्ति स्‍वतंत्र कुमार ने एक बड़े अखबार और दो टीवी चैनलों को भेजे कानूनी नोटिस में कहा है कि नोटिस का पालन नहीं करने पर उन्हें संस्थानों के खिलाफ उचित कार्रवाई करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा.

एक पूर्व इंटर्न ने आरोप लगाया है कि स्वतंत्र कुमार ने मई, 2011 में अपने दफ्तर में उसका यौन उत्पीड़न किया था.

न्यायमूर्ति स्‍वतंत्र कुमार ने आरोपों को किसी तरह की साजिश करार दिया है. उनकी ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहगती ने रात को एक बयान में कहा कि अखबार और दोनों चैनलों ने तथ्यों का सत्यापन किए बिना न्यायाधीश की साख को क्षति पहुंचाई है.

उन्होंने कहा, ‘हमने उनसे अगले 24 घंटे के भीतर माफी मांगने को कहा है. ऐसा नहीं होने पर मानहानि तथा छवि को नुकसान पहुंचाने के लिए दीवानी और आपराधिक कार्रवाई की जाएगी.’

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न्यायमूर्ति कुमार ने मीडिया पर आरोप लगाया कि आरोपों की वास्तविकता की पड़ताल किए बिना इंटर्न की शिकायत को प्रसारित किया जा रहा है. करांजावाला एंड कंपनी के माध्यम से भेजे गए नोटिस में कहा गया है कि न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार के खिलाफ शिकायत उनके द्वारा एक अत्यधिक संवेदनशील न्यायाधिकरण की जिम्मेदारी पर प्रतिकूल असर डालने की गहरी साजिश है.

इसमें कहा गया है कि शिकायत के वक्त को लेकर भी संदेह है, क्योंकि यह एक अन्य न्यायाधीश के खिलाफ एक इंटर्न द्वारा पहले ही लगाए गए आरोपों के बाद आई है, जिसके बाद न्यायाधीश ने हाल ही में इस्तीफा दे दिया. जाहिर तौर पर इसमें पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद से पूर्व न्यायाधीश एके गांगुली के इस्तीफे का जिक्र किया गया है.

नोटिस में कहा गया है कि न्यायमूर्ति कुमार को सबसे पहले आरोपों का पता मीडिया से ही चला और उन्हें शुरू में तो याद ही नहीं आया कि किस इंटर्न की बात हो रही है.

नोटिस में कहा गया है, ‘आपने कथित खबर से पहले आरोपों के किसी तरह के सत्यापन या कथित शिकायत की प्रामाणिकता का पता लगाने की कोई कोशिश नहीं की है.’ नोटिस के अनुसार शिकायत के बारे में दो चैनलों ने बिना किसी स्वतंत्र सत्यापन के सामग्री प्रसारित की. इसमें आरोपों को पूरी तरह झूठा और मनगढ़ंत करार दिया गया है.

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नोटिस के अनुसार इंटर्न ने उनके दफ्तर में बमुश्किल तीन से चार दिन काम किया था. लेकिन दुर्भाग्य से ऐसी धारणा बना दी गई है कि उसने जज के साथ लंबे समय तक काम किया.

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