केंद्रीय कैबिनेट में जुवेनाइल जस्टिस एक्ट में संशोधन को मंजूरी दे दी है, जिसके बाद 16 से ज्यादा उम्र के किशोरों के जघन्य अपराध करने पर भी आईपीसी कानून के तहत मुकदमा चलाया जा सकेगा.
इससे पहले कैबिनेट ने मामले पर विस्तृत अध्ययन के लिए वरिष्ठ मंत्रियों के एक समूह को भेजा दिया. इस समूह में वित्त मंत्री अरुण जेटली, सुषमा स्वराज, सदानंद गौड़ा और वेंकैया नायडू शामिल थे.
कैबिनेट ने जुवेनाइल जस्टिस (केयर एंड प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन) बिल 2014 पास करके संसद को भेजा था. हालांकि मानव संसाधन विकास पर गठित संसदीय समिति ने इसमें संशोधन का प्रस्ताव दिया था. समिति ने 16 से 18 साल के किशोरों की ओर से किए गए जघन्य अपराधों के केस में आईपीसी की धारा के तहत केस दर्ज करने का सुझाव दिया था.
Imp feature is while recognizing rights of a juvenile in the event he is between 16-18yrs& the children's court...cntd: Ravi Shankar Prasad
— ANI (@ANI_news) April 22, 2015
...comes to a conclusion that because of circumstances of his crime&his psychology he has committed a heinous crime: Ravi Shankar Prasad
— ANI (@ANI_news) April 22, 2015
Its important that he (juvenile) be treated like an adult: Ravi Shankar Prasad, BJP
— ANI (@ANI_news) April 22, 2015
गौरतलब है कि निर्भया गैंगरेप के बाद से अपराधों के संबंध में जुवेनाइल की परिभाषा बदलने की मांग की जा रही है.