कांग्रेस के महासचिव और पश्चिम उत्तर प्रदेश के प्रभारी ज्योतिरादित्य सिंधिया शुक्रवार को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ का दौरा करेंगे. इसके लिए सिंधिया कल सुबह 10 बजे लखनऊ एयरपोर्ट पहुंचेंगे. लखनऊ एयरपोर्ट से सीधे प्रदेश कांग्रेस कार्यालय पहुंचकर सुबह 11 बजे से शाम 6:20 तक पश्चिमी उत्तर प्रदेश से संबंधित लोकसभावार पार्टी प्रत्याशियों, जिला/शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्षों, मौजूदा और पूर्व विधायकों और सांसदों के साथ-साथ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पदाधिकारियों के साथ हार की समीक्षा करेंगे. वहीं रात को ही सिंधिया वापस दिल्ली के लिए रवाना हो जाएंगे.
ज्योतिरादित्य सिंधिया को लोकसभा 2019 चुनाव में पश्चिमी उत्तर प्रदेश का प्रभार सौंपा गया था. लेकिन कांग्रेस का प्रदर्शन यूपी में बेहद खराब रहा और पार्टी केवल एक ही सीट पाई. वह सीट थी कांग्रेस का गढ़ रायबरेली. खुद पार्टी चीफ राहुल गांधी भी अमेठी लोकसभा सीट बीजेपी प्रत्याशी स्मृति ईरानी के हाथों हार गए. पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी का भी कोई जलवा पूर्वी उत्तर प्रदेश में दिखाई नहीं दिया.
यूं तो यूपी में असली जंग सपा-बसपा-आरएलडी गठबंधन और भारतीय जनता पार्टी के बीच थी. जहां एनडीए ने बाजी मारते हुए 64 सीटों पर जीत हासिल की. वहीं सपा-बसपा-आरएलडी गठबंधन को 15 और कांग्रेस को एक सीट पर जीत मिली. बाहरियों को टिकट देना, संगठन का कमजोर ढांचा और पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ बुरा बर्ताव. ये ऐसे फैक्टर्स हैं, जिन्होंने जीत की रेस से कांग्रेस को पूरी तरह बाहर कर दिया. जिला स्तर के पदाधिकारियों ने दिल्ली में सिंधिया के साथ हुई बातचीत में यही फीडबैक दिया था.
ज्यादातर नेताओं का कहना था कि सपा-बसपा गठबंधन बनने के बाद जनता ने कांग्रेस को विकल्प के तौर पर देखना छोड़ दिया. कांग्रेस उम्मीदवार जनता को यह भरोसा दिलाने में नाकामयाब रहे कि वे जीतने के लिए मैदान में हैं. रही सही कसर प्रियंका गांधी के उस बयान ने पूरी कर दी, जिसमें उन्होंने कहा कि हम वोट कटवा हैं. इससे कार्यकर्ताओं और प्रत्याशियों का मनोबल और गिर गया.
सिंधिया शुक्रवार को जब पार्टी पदाधिकारियों और अन्य नेताओं से बैठक करेंगे तो उनके सामने चुनौती यही होगी कि कांग्रेस को फिर से कैसे प्रदेश में खड़ा किया जाए. वैसे दिलचस्प बात है कि सिंधिया खुद अपनी लोकसभा सीट गुना से चुनाव हार चुके हैं.